इस्लाम में ग़ुस्ल की अहमियत ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
इस्लाम एक ऐसा मज़हब है जो सिर्फ़ इबादत पर नहीं बल्कि तहारा ( पाकीज़गी ) और सफ़ाई पर भी ज़ोर देता है। रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया –
“अत-तहूरु शत्रुल ईमान”
(साफ़-सफ़ाई ईमान का आधा हिस्सा है – सहीह मुस्लिम)
ग़ुस्ल यानी पूरा इत्तमाम के साथ जिस्म को धोना इस्लाम में बहुत अहम अमल है, ख़ास तौर पर उन हालात में जब शरई तौर पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो जाता है।
कुरआन में ग़ुस्ल का ज़िक्र ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
अल्लाह तआला फ़रमाता है:
“وَإِن كُنتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُوا”
“और अगर तुम जनाबत की हालत में हो तो पाक हो लो (ग़ुस्ल करो)”
(सूरह अल-मायदा 5:6)
ग़ुस्ल कब फ़र्ज़ होता है? ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
सुन्नी फ़िक़्ह के मुताबिक़ ग़ुस्ल इन सूरतों में फ़र्ज़ है:
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जनाबत (Sexual impurity) – हमबिस्तरी या मनी निकलने के बाद।
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हैज़ (Menstruation) – औरतों पर हैज़ ख़त्म होने के बाद।
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निफ़ास (Childbirth bleeding) – बच्चा पैदा होने के बाद ख़ून रुकने पर।
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मय्यत को ग़ुस्ल देना – किसी शख़्स के इंतिक़ाल के बाद।
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जुमा के दिन ग़ुस्ल – सुन्नत मुअक्कदा के तौर पर।
हदीसों से ग़ुस्ल की अहमियत ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया – “जुमे के दिन ग़ुस्ल करना हर बालिग़ मुसलमान पर वाजिब है।”
(सहीह बुखारी, हदीस 879) -
हज़रत आयशा (रज़ि) फ़रमाती हैं – “रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम जब जनाबत की हालत में होते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर वुज़ू करते, फिर पूरा जिस्म धोते।”
(सहीह मुस्लिम, किताबुल हज़)
ग़ुस्ल करने का तरीक़ा ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
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नीयत करना – दिल में इरादा कि मैं पाक होने के लिए ग़ुस्ल कर रहा हूँ।
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बिस्मिल्लाह कहना।
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हाथ धोना और निजी हिस्सों को धोना।
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पूरा वुज़ू करना (जैसा नमाज़ के लिए)।
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सिर और बालों की जड़ों तक पानी डालना।
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पहले जिस्म के दाहिने हिस्से पर फिर बाएँ हिस्से पर पानी डालना।
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ध्यान रखना कि जिस्म का कोई हिस्सा सूखा न रहे।
ग़ुस्ल की दुआ ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
ग़ुस्ल शुरू करते वक़्त नीयत दिल में करना ज़रूरी है। आम तौर पर ये दुआ पढ़ी जाती है:
अरबी:
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِيْمِ
اللَّهُمَّ طَهِّرْ قَلْبِي وَاحْصِنْ فَرْجِي وَاغْفِرْ لِي ذَنْبِي
Hinglish Transliteration:
Bismillahir-Rahmanir-Raheem
Allahumma tahhir qalbi wa ahsin farji waghfir li dhanbi
मतलब:
“ऐ अल्लाह! मेरे दिल को पाक कर, मेरी हिफ़ाज़त कर और मेरे गुनाह माफ़ फ़रमा।”
सेहत और साइंस के फ़ायदे ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
इस्लाम में ग़ुस्ल सिर्फ़ रूहानी पाकीज़गी नहीं बल्कि जिस्मानी सेहत के लिए भी है:
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ग़ुस्ल से ख़ून की गर्दिश (blood circulation) बेहतर होती है।
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जिस्म और पोर्स (pores) साफ़ रहते हैं, जिससे infections कम होते हैं।
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ताज़गी और आराम मिलता है, depression और stress में राहत होती है।
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Medical research बताती है कि ग़ुस्ल से immunity system मज़बूत होता है।
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Sexual hygiene की वजह से family health बेहतर होती है।
5 आम सवाल FAQ ( 7 ghusl steps in Islam Hindi )
Q1: क्या ग़ुस्ल के बिना नमाज़ पढ़ी जा सकती है?
नहीं, अगर ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो चुका है तो उसके बिना नमाज़ जायज़ नहीं।
Q2: ग़ुस्ल में साबुन ज़रूरी है?
नहीं, सिर्फ़ पानी से पूरा जिस्म धोना फ़र्ज़ है। साबुन इस्तेमाल करना जायज़ है।
Q3: बाल धोना ज़रूरी है?
हाँ, बालों की जड़ों तक पानी पहुँचना लाज़िमी है।
Q4: क्या सिर्फ़ नहाना ग़ुस्ल के बराबर है?
नहीं, ग़ुस्ल सुन्नत तरीक़े से करना चाहिए – नीयत और वुज़ू के साथ।
Q5: औरतें बाल खोले बिना ग़ुस्ल कर सकती हैं?
जी हाँ, अगर पानी जड़ों तक पहुँच जाए तो खोलना ज़रूरी नहीं।
ग़ुस्ल इंसान को जिस्मानी, रूहानी और तिब्बी तौर पर पाक करता है। इस्लाम ने ग़ुस्ल को इबादत और सेहत दोनों के लिए ज़रूरी क़रार दिया है।
जज़ाकल्लाह खैर।
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