मिराज में आयतों का नुज़ूल (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah – Authentic Details)

मिराज में आयतों का नुज़ूल (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah

इस्लामी इतिहास और क़ुरआन की तफ़्सीर में सूरह अल-बक़रह (आयत 285-286) की बहुत बड़ी अहमियत है। ये दोनों आयतें नबी-ए-करिम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को इसरा व मिराज की रात अल्लाह तआला की तरफ़ से सीधा तोहफ़े के तौर पर अता हुईं। रिवायतों में आता है कि ये आयतें जिब्रील अलैहिस्सलाम के वसीले से नहीं बल्कि सीधे “अर्श-ए-इलाही” पर अल्लाह ने अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को अता कीं। इसी वजह से इन्हें “तौहफ़ा-ए-मिराज” भी कहा जाता है।

मिराज और आयतों का नुज़ूल (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

इसरा व मिराज का वाक़िआ इस्लामी तारीख़ का एक अनूठा और अहम मोज़िज़ा है। इस सफ़र में नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को बैतुल-मक़्दिस और फिर आसमानों की सैर कराई गई। रिवायतों के मुताबिक जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम “सिदरतुल मुन्तहा” और “बैतुल-मामूर” तक पहुंचे तो वहाँ तीन बड़े तोहफ़े अता किए गए –

  1. पाँच वक्त की नमाज़

  2. सूरह अल-बक़रह की आख़िरी दो आयतें (285-286)

  3. उम्मत की मग़फ़िरत और अल्लाह की रहमत का पैग़ाम

सूरह अल-बक़रह की आख़िरी दो आयतों का मफ़हूम (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

  • आयत 285: इस आयत में ईमान वालों की सिफ़त बयान की गई है कि वे अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, उसकी किताबों और तमाम नबियों पर ईमान लाते हैं। और ये कि अल्लाह का कोई भी हुक्म बिला शर्त कबूल है।

  • आयत 286: इसमें अल्लाह तआला ने यह ऐलान किया कि वह किसी जान पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ नहीं डालता। इसमें दुआ भी शामिल है कि अल्लाह हमें हमारी ग़लतियों और कमज़ोरियों पर माफ़ करे और रहमत फ़रमाए।

फ़ज़ीलत (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

हदीस में आता है कि जिसने रात को इन दोनों आयतों की तिलावत की, तो वो उसके लिए काफ़ी होंगी (सहीह बुख़ारी, सहीह मुस्लिम)। यानी ये आयतें इंसान को हिफ़ाज़त, रहमत और बरकत देती हैं।

नतीजा (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

सूरह अल-बक़रह की आख़िरी दो आयतें अल्लाह तआला का सीधा तोहफ़ा हैं जो इस्लामी उम्मत के लिए रहमत, मग़फ़िरत और हिदायत का नूर हैं। मिराज की रात इन आयतों का नुज़ूल उम्मत-ए-मुस्लिमा के लिए हमेशा रहमत और बरकत का सबब रहेगा।

सूरह अल-बक़रह की आख़िरी दो आयतें (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

आयत 285

Arabic Text-
اٰمَنَ الرَّسُوْلُ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَيْهِ مِنْ رَّبِّهٖ وَالْمُؤْمِنُوْنَ‌ؕ كُلٌّ اٰمَنَ بِاللّٰهِ وَمَلٰٓئِكَتِهٖ وَكُتُبِهٖ وَرُسُلِهٖۚ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ اَحَدٍ مِّنْ رُّسُلِهٖ‌ۚ وَقَالُوْا سَمِعْنَا وَاَطَعْنَا‌ۚ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَاِلَيْكَ الْمَصِيْرُ

Hindi Tarjuma-  “रसूल ईमान लाए उस चीज़ पर जो उनके रब की तरफ़ से उन पर नाज़िल की गई, और मोमिन भी। सब ईमान लाए अल्लाह पर, उसके फ़रिश्तों पर, उसकी किताबों पर और उसके रसूलों पर। हम उसके रसूलों में किसी के दरमियान फ़र्क़ नहीं करते। और उन्होंने कहा: ‘हमने सुना और माना। ऐ हमारे रब! हम तेरी मग़फ़िरत चाहते हैं और तेरी ही तरफ़ लौटना है।’”

आयत 286

Arabic Text-
لَا يُكَلِّفُ اللّٰهُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا‌ؕ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا اكْتَسَبَتْ‌ؕ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَاۤ اِنْ نَّسِيْنَاۤ اَوْ اَخْطَاْنَا‌ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَاۤ اِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهٗ عَلَى الَّذِيْنَ مِنْ قَبْلِنَا‌ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهٖ‌ۚ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا‌ۚ اَنْتَ مَوْلٰٮنَا فَانْصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكٰفِرِيْنَ

Hindi Tarjuma- “अल्लाह किसी जान पर उसकी ताक़त से ज़्यादा बोझ नहीं डालता। हर एक के लिए वही है जो उसने कमाया, और उसी पर है जो उसने किया। ऐ हमारे रब! अगर हम भूल जाएँ या ग़लती कर बैठें तो हमें न पकड़े। ऐ हमारे रब! हम पर ऐसा बोझ न डाल जैसा तूने हमसे पहले लोगों पर डाला। ऐ हमारे रब! हम पर वह बोझ न डाल जिसे उठाने की हममें ताक़त नहीं। और हमें माफ़ कर, हमें बख़्श दे, और हम पर रहमत कर। तू ही हमारा मालिक है, सो काफ़िरों की क़ौम के मुकाबले में हमारी मदद कर।”

5 आम सवाल FAQs (Revealation of last 2 verses of Surah Baqarah)

Q1: सूरह अल-बक़रह की आख़िरी दो आयतें कब नाज़िल हुईं?
ये आयतें इसरा व मिराज की रात नाज़िल हुईं और अल्लाह ने सीधे नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को अता कीं।

Q2: क्या ये आयतें जिब्रील अलैहिस्सलाम के ज़रिए आईं?
नहीं, ये आयतें अल्लाह ने सीधे नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को दीं, जिब्रील अलैहिस्सलाम इनके बीच में वसीला नहीं बने।

Q3: इन आयतों की तिलावत की क्या फ़ज़ीलत है?
हदीस के मुताबिक़, जो शख़्स रात को इन दोनों आयतों की तिलावत करे, वह उसके लिए काफ़ी होंगी।

Q4: इन आयतों में क्या पैग़ाम है?
इनमें ईमान, अल्लाह पर भरोसा, जिम्मेदारी की आसानियाँ और मग़फ़िरत की दुआ शामिल है।

Q5: मिराज की रात नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को और कौन-कौन से तोहफ़े मिले?
नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम को पाँच वक्त की नमाज़ और उम्मत की मग़फ़िरत का पैग़ाम भी दिया गया।

जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे  – आमीन ।

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