सफ़र में नमाज़ ए क़सर कैसे पढ़े ( How To Pray Qasr Namaz Hindi – 5 time Salah during travel)
इस्लाम एक आसान और रहमत वाला दीन है। जब कोई शख़्स सफ़र पर होता है, तो अल्लाह तआला ने उस पर रहमत और आसानी फ़रमाई है कि वह अपनी फ़र्ज़ नमाज़ों को मुक़स्सर (छोटी) कर सकता है। इसे नमाज़-ए-क़सर (Qasr Salah) कहा जाता है।
क़ुरआन से दलील ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
अल्लाह तआला फरमाते है –
وَإِذَا ضَرَبْتُمْ فِي الْأَرْضِ فَلَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ أَنْ تَقْصُرُوا مِنَ الصَّلَاةِ
“और जब तुम ज़मीन में सफ़र करो तो तुम्हारे ऊपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को छोटा कर लो।”
(सूरह अन-निसा: 101)
हदीस से दलील ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
हज़रत आयशा (रज़ि.) फ़रमाती हैं –
“रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने सफ़र में चार रकअत की नमाज़ को दो रकअत पढ़ा।”
(सहीह बुख़ारी 1090, सहीह मुस्लिम 685)
हज़रत इब्न उमर (रज़ि.) फ़रमाते हैं:
“मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम के साथ सफ़र किया, वह दो रकअत से ज़्यादा नहीं पढ़ते थे।”
(सहीह बुख़ारी 1102)
कौन मुसाफ़िर है? ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
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अगर कोई शख़्स लगभग 48 मील (77 किमी) या उससे ज़्यादा का सफ़र करे।
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और कम से कम 15 दिन से कम वक़्त किसी जगह पर क़याम का इरादा रखे या सफर में ही हो ।
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तो वह मुसाफ़िर कहलाता है और क़सर नमाज़ पढ़ सकता है।
किन नमाज़ों में क़सर है? ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
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फ़र्ज़ नमाज़ें:
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ज़ुहर: 4 → 2 रकअत
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असर: 4 → 2 रकअत
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ईशा: 4 → 2 रकअत
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बग़ैर तबदीली वाली नमाज़ें:
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फ़ज्र: 2 रकअत (जैसी है वैसी रहेगी)
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मग़रिब: 3 रकअत (जैसी है वैसी रहेगी)
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सिर्फ़ चार रकअत वाली नमाज़ें क़सर होकर दो रकअत हो जाती हैं।
नीयत Niyyah ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
नमाज़ की नीयत दिल से करना ज़रूरी है, ज़ुबान से कहना ज़रूरी नहीं, लेकिन सीखने के लिए इस तरह कर सकते हैं –
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फ़ज्र (दो रकअत, बिना क़सर) –
نويت أن أصلي ركعتين صلاة الفجر لله تعالى“मैं नियत करता हूँ 2 रकअत फ़र्ज़ नमाज़-ए-फ़ज्र अल्लाह तआला के लिए।” और जैसे नियत पूरी करते है वैसे करें।
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ज़ुहर (क़सर – 2 रकअत) –
نويت أن أصلي ركعتين قصر صلاة الظهر لله تعالى“मैं नियत करता हूँ 2 रकअत क़सर फ़र्ज़ नमाज़-ए-ज़ुहर अल्लाह तआला के लिए।” और जैसे नियत पूरी करते है वैसे करें।
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असर (क़सर – 2 रकअत) –
نويت أن أصلي ركعتين قصر صلاة العصر لله تعالى“मैं नियत करता हूँ 2 रकअत क़सर फ़र्ज़ नमाज़-ए-असर अल्लाह तआला के लिए।” और जैसे नियत पूरी करते है वैसे करें।
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मग़रिब (3 रकअत, बिना क़सर) –
نويت أن أصلي ثلاث ركعات صلاة المغرب لله تعالى“मैं नियत करता हूँ 3 रकअत फ़र्ज़ नमाज़-ए-मग़रिब अल्लाह तआला के लिए।” और जैसे नियत पूरी करते है वैसे करें।
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ईशा (क़सर – 2 रकअत) –
نويت أن أصلي ركعتين قصر صلاة العشاء لله تعالى“मैं नियत करता हूँ 2 रकअत क़सर फ़र्ज़ नमाज़-ए-ईशा अल्लाह तआला के लिए।” और जैसे नियत पूरी करते है वैसे करें।
सफ़र में सुन्नत और नफ़्ल ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
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अगर सफ़र मुश्किल हो तो सुन्नत-ए-मुअक्कदा (जैसे ज़ुहर की 4 सुन्नत) छोड़ सकते हैं।
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लेकिन अगर आसानी हो तो पढ़ना बेहतर है।
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नफ़्ल नमाज़ें भी सफ़र में पढ़ी जा सकती हैं।
सफ़र में नमाज़ की आसानी ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया –
“अल्लाह तआला को यह पसंद है कि उसके रुख़्सत (छूट) को उसी तरह क़ुबूल किया जाए, जैसे उसकी अज़मत (इबादत) की जाए।”
(सहीह मुस्लिम 1115)
यानी सफ़र में क़सर पढ़ना अल्लाह की रहमत है और उसे क़ुबूल करना भी इबादत है।
सफ़र करने वालों के लिए पैग़ाम ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
नमाज़ छोड़ना किसी हाल में जायज़ नहीं, लेकिन सफ़र में अल्लाह ने आसानी दी है। मुसलमान को चाहिए कि सफ़र की थकान, बिज़ी लाइफ़ और मसाफ़त के बावजूद नमाज़ का एहतिमाम करे। नमाज़ दीन का सबसे बड़ा सहारा और सफ़र का हक़ीक़ी रिफ़्रेशमेंट है।
इस तरह एक मुसाफ़िर आसानी से अपनी पांचों वक़्त की नमाज़ अदा कर सकता है।
सफर से रिलेटेड वीडियो ( How To Pray Qasr Namaz Hindi ) –
सफ़र के दौरान सलात (सलात अल-मुसाफिर) Salat During Travel (Salat al-Musafir)
दीन में मुसाफिर किसे पुकारा गया है? Shortening the Prayer Salat Al-Qasr
5 आम सवाल-जवाब (FAQ) – नमाज़-ए-क़सर ( How To Pray Qasr Namaz Hindi )
1. सवाल: क्या हर सफ़र में क़सर पढ़ना ज़रूरी है?
जवाब: अगर सफ़र 77 किमी या उससे ज़्यादा हो और ठहरने का इरादा 15 दिन से कम हो तो क़सर पढ़ना सुन्नत-ए-मुअक्कदा है।
2. सवाल: अगर कोई मुसाफ़िर 10 दिन के लिए किसी शहर में रुक गया तो क्या वह क़सर पढ़ेगा?
जवाब: नहीं, अगर 15 दिन या उससे ज़्यादा ठहरने का इरादा है तो मुक़ीम माना जाएगा और पूरी नमाज़ पढ़नी होगी।
3. सवाल: क्या मुसाफ़िर सुन्नत नमाज़ें छोड़ सकता है?
जवाब: हाँ, सफ़र की मुश्किलों में सुन्नतें छोड़ना जायज़ है, लेकिन फ़ज्र की सुन्नत छोड़ना मकरूह है।
4. सवाल: अगर मुसाफ़िर जमाअत से नमाज़ पढ़े तो क़सर होगी या पूरी?
जवाब: अगर इमाम मुक़ीम है तो पूरी नमाज़ पढ़नी होगी, और अगर इमाम मुसाफ़िर है तो सब क़सर पढ़ेंगे।
5. सवाल: क्या गाड़ी, ट्रेन या जहाज़ में नमाज़ पढ़ सकते हैं?
जवाब: जी हाँ, अगर क़िब्ला की तरफ़ मुमकिन हो तो खड़े होकर पढ़े, वरना बैठकर ईशारों से पढ़ सकते हैं।
जज़ाकल्लाह खैर।
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