ईद मिलादुन्नबी 2025 ( Eid Miladun Nabi 2025)
ईद मिलादुन्नबी जिसे मौलिदुन्नबी या बारा-वफ़ात भी कहा जाता है, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश की याद में मनाई जाती है। तारीख़ी रिवायतों के मुताबिक़, नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश सन 570 ईस्वी (आम-उल-फ़ील) में मक्का मुअज़्ज़मा में हुई थी। इस दिन मुसलमान पूरी दुनिया में महफ़िल-ए-मिलाद, नात-ओ-क़सीदा, दुआओं और जुलूसों के ज़रिये अपने नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश की ख़ुशियां मनाते हैं।
ईद मिलादुन्नबी 2025 की तारीख़ें ( Eid Miladun Nabi 2025)
सन 2025 में ईद मिलादुन्नबी का दिन अलग-अलग मुल्कों में अलग तारीख़ों को मनाया जाएगा। भारत, सऊदी अरब और ज़्यादातर मुस्लिम मुल्कों में यह दिन 5 सितम्बर 2025 (जुमे का दिन) को होगा। पाकिस्तान में चाँद नज़र न आने की वजह से तारीख़ 6 सितम्बर 2025 (शनिवार) तय की गई है।
कुछ जगहों पर, ख़ासकर भारत के कुछ शहरों जैसे बेलगावी और हैदराबाद में, जुलूस और मिलाद के प्रोग्राम को आगे बढ़ाकर 14 सितम्बर तक कर दिया गया है ताकि दूसरे मज़हबी प्रोग्राम्स से टकराव न हो। यानी यह दिन हर जगह एक जैसा नहीं होता बल्कि चाँद देखे जाने और इलाक़ाई एलान पर आधारित होता है।
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भारत, सऊदी अरब और कई मुस्लिम मुल्कों में: 5 सितम्बर 2025 (जुमे का दिन) को मनाई जाएगी।
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पाकिस्तान में: चाँद देखने के बाद तारीख़ 6 सितम्बर 2025 (शनिवार) तय की गई है।
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कुछ इलाक़ों में: जुलूस और जश्न की तारीख़ आगे बढ़ाकर 14 सितम्बर 2025 तक रखी गई है ताकि दूसरे मज़हबी प्रोग्राम्स से टकराव न हो।
इस साल क्यों है ख़ास? ( Eid Miladun Nabi 2025)
साल 2025 का ईद मिलादुन्नबी ख़ास इस वजह से माना जा रहा है क्योंकि कई जगह इसे नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की 1500वीं सालगिरह के तौर पर मनाया जा रहा है। हालाँकि तारीख़ी हिसाब से देखें तो हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश को गुज़रे अभी तक 1455 साल हुए हैं, लेकिन चाँद्री (हिज्री) साल और सांस्कृतिक अंदाज़ से बहुत से इदारों ने इसे 1500 साल पूरे होने का प्रतीकात्मक मौक़ा क़रार दिया है।
भारत के कई सूबों, ख़ासकर मुंबई और नागपुर में, दरगाहों और मज़हबी इदारों ने 12 दिन तक चलने वाले प्रोग्राम का एलान किया है जिसमें मिलाद महफ़िलें, नातख़्वानी, कुरआन तिलावत और जुलूस शामिल होंगे। इस वजह से 2025 की ईद मिलादुन्नबी को तारीख़ी सालगिरह की तरह भी देखा जा रहा है।
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इस साल कई इलाक़ों में ईद मिलादुन्नबी को “1500 वीं सालगिरह” के तौर पर मनाया जा रहा है।
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हालाँकि तारीख़ी तौर पर नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश को गुज़रे लगभग 1455 साल हुए हैं (570 ईस्वी से 2025 तक)।
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मगर चाँद्री (हिज्री) कैलेंडर और क़ौमी रिवायतों की वजह से प्रतीकात्मक तौर पर 1500वीं सालगिरह का ऐलान किया गया है।
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मुंबई, नागपुर और कई सूबों के दरगाहों ने 12 दिनी प्रोग्राम और ख़ुसूसी महफ़िलें रखने का ऐलान किया है।
तारीख़ी मालूमात ( Eid Miladun Nabi 2025)
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश सन 570 ईस्वी (आम-उल-फ़ील – हाथी वाले साल) में मक्का मुअज़्ज़मा में हुई। तारीख़ी तौर पर यह रबीउल-अव्वल की 12 तारीख़ थी। यही वजह है कि इस दिन को “बारावफ़ात” भी कहा जाता है।
नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की ज़िंदगी इंसानियत के लिए रहनुमाई का सरचश्मा है। उनकी तालीमात में इंसाफ़, रहमत, बराबरी, अमन और मोहब्बत का पैग़ाम है। इस दिन मुसलमान न सिर्फ़ ख़ुशियाँ मनाते हैं बल्कि अपने नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की सीरत (जीवन-चरित्र) को याद करके अपनी ज़िंदगी में सुधार लाने की कोशिश करते हैं।
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हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश रबीउल-अव्वल की 12 तारीख़ को हुई थी।
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बहुत से मुसलमान इस दिन को नबी-ए-रहमत सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की ज़िंदगी और उनकी सीरत याद करने के लिए इबादत, दुआ और सदक़ा-ख़ैरात करते हैं।
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दुनिया भर में यह दिन सिर्फ़ जश्न का नहीं बल्कि नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की तालीमात पर अमल का भी पैग़ाम देता है।
दुनियाभर में जश्न और ख़बरें ( Eid Miladun Nabi 2025)
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भारत: कई शहरों में बड़े-बड़े जुलूस, नातिया मुशायरे और सजावट की तैयारियां हो रही हैं।
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पाकिस्तान: कराची, लाहौर और इस्लामाबाद में रोशनियों, महफ़िलों और जुलूसों का प्रोग्राम होगा।
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सऊदी अरब: यहाँ मौलिद आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया जाता, लेकिन कई घरों में दुआ और कुरआन की तिलावत की जाती है।
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दुनिया भर में: लंदन, दुबई, अमेरिका और यूरोप के मुसलमान भी मिलाद महफ़िलें सजाते हैं।
5 आम सवाल FAQ ( Eid Miladun Nabi 2025)
Q1. ईद मिलादुन्नबी 2025 कब है?
भारत में 5 सितम्बर और पाकिस्तान में 6 सितम्बर को मनाई जाएगी।
Q2. इसे बारावफ़ात क्यों कहा जाता है?
क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश रबीउल-अव्वल की 12 तारीख़ को हुई थी, जिसे उर्दू में “बारह” कहते हैं।
Q3. 2025 को क्यों 1500वीं सालगिरह कहा जा रहा है?
हक़ीक़त में 1455 साल हुए हैं, मगर चाँद्री सालों और सांस्कृतिक अंदाज़ से 1500 का आंकड़ा प्रतीकात्मक तौर पर लिया जा रहा है।
Q4. इस दिन लोग क्या करते हैं?
मिलाद महफ़िलें, कुरआन तिलावत, नातख़्वानी, जुलूस और सदक़ा-ख़ैरात किया जाता है।
Q5. क्या हर मुल्क में तारीख़ एक जैसी होती है?
नहीं, तारीख़ चाँद देखने और इलाक़ाई एलान पर निर्भर करती है।
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