काबा के पहरेदार और मक्का को आबाद करने वाले ( First Citizen of Makkah & guardian of Kaaba)
काबा की हिफाज़त के लिए अल्लाह सुभानवताला ने , सबसे पहले जिन पहरेदारो को भेजा , वह यमन से थे । ” जुरहुम कबीला “
काबा की तारीखी दास्ताँ ( History of kaaba )
काबा नबी आदम अलैहिस्सलाम के वक़्त भी मौजूद था । हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने , नबी आदम अलैहिस्सलाम को इसकी जगह बताई थी । जब नबी नूह अलैहिस्सलाम के वक़्त जलजले का अज़ाब आया, दुनिया में सब कुछ मिटा दिया गया । काबा के निशाँ भी, अल्लाह सुभानवताला ने छुपा दिए। वक़्त गुज़रा और कई नबी दुनिया में आये और चले गए । और फिर नबूवत मिली नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम को ” खलीलुल्लाह ” , अल्लाह सुभानवताला ने नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम को किबला का इल्म अता किया, और हुकुम ए इलाही नाज़िल हुआ, आपकी पहली औलाद और हज़रत हाज़रा को , काबा के पास वीराने में छोड़ने का।
नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम का वालिद से अलग होना ( Family separation of Prophet Ibrahim AS )
आबे ज़मज़म और मक्का के सबसे पहले बसने वाले ( Zamzam Well & First Citizen of Makkah )
चंद खजूरें और थोड़ा सा पानी, चारो तरफ पथरीली वादियों में छोटा सा बच्चा अपनी माँ के दामन में, अपने वालिद नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम से जुदा हो गया। हज़रते हाज़रा ने इसे अल्लाह सुभानवताला का हुकुम समझा और सब्र किया।
अल्लाह पर यकीन था, पर वक़्त के साथ पानी और खजूरें ख़त्म हो गई। मदद के कोई निशान नहीं थे फिर भी सब्र किया। पर औलाद प्यासी थी, जिसे देख आप तड़प उठी। सफा और मरवा के पहाड़ के बीच , पानी तलाशती रही , पर ये एक ऐसा वीराना था जहां , पानी दूर दूर तक मौजूद न था। जिन्दा रहने की नामुमकिन से हालात में, जहां कोई न हो , ऐसे में अल्लाह सुभानवताला की पहली रहमत नाज़िल हुए। आबे ज़मज़म ।
मुक़द्दस पानी का फव्वारा , जिसे रोककर हज़रते हाज़रा ने अपनी और अपनी औलाद नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम की प्यास बुझाई । पर ज़िन्दगी अभी भी मुश्किल थी। न कोई बस्ती और न ही कोई हिफाज़त । पर ये अल्लाह सुभानवताला का निज़ाम था। सरदार ए अम्बिया सल्लाल्ल्हो अलय्हि वसल्लम को मक्का तक लाने के लिए , नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम को मक्का तक लाया गया।
यमन का जुरहुम कबीला ( Jurhum tribe )
एक कबीला जो पास से गुज़र रहा था, उसने एक परिंदे को देखा, परिंदा जो सिर्फ पानी के आस पास होता है। उसका पीछा कर कबीला आबे ज़मज़म तक पहुंच गया। इस कबीले का नाम था , जुरहुम कबीला, जो यमन से था। पहाड़ी वीराने में पानी के ऐसे फुव्वारे को देख कर, कबीले ने वहां बसने का मन बनाया। और हज़रते हाज़रा से इजाज़त ली, बदले में आपकी और ज़मज़म की हिफाज़त का वादा किया। गुज़रते वक़्त में नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम और नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम ने काबा की तामीर की, जिसकी हिफाज़त का ज़िम्मा यमन के जुरहुम कबीले ने बखूबी निभाया। और साथ ही अपने कबीले में नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम का रिश्ता भी जोड़ा।
Summary of the story
ये था अल्लाह सुभानवताला का निज़ाम , मक्का को आबाद करने के लिए, नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम और हज़रते हाज़रा को भेजा , ज़मज़म अता किया । काबा की निशानी बतायी और हिफाज़त के लिए , यमन से जुरहुम कबीले को भेजा ।
जज़ाकल्लाह खैर।
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पोस्ट डिटेल्स –
- अल्लाह सुभानवताला ने कैसे इब्राहिम अलैहिस्सलाम को काबा का इल्म दिया
- कैसे हज़रते हाज़रा और नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम मक्का पहुंचे
- मक्का के पहले बसने वाले कौन थे
- अल्लाह सुभानवताला ने कैसे ज़मज़म अता किया
- कैसे अल्लाह सुभानवताला ने ज़मज़म और काबे की हिफाज़त के लिए यमन से जुरहुम कबीले को भेजा
This is the story about –
- How Allah SWT guided Ibrahim AS about Kabaa
- How Allah SWT guided his family to mecca
- First Citizen of Mecca – Hazrat Hazra RA & Prophet Ismail AS
- How Allah SWT sent zamzam for Ummah
- How Allah SWT send Guardian for Zamzam & Kabaa – The Jurhum Tribe from yemen
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