I Love Mohammad board controversy hindi कानपुर इंडिया “I Love Muhammad” बोर्ड केस – मुसलमानों पर FIR और तन्क़ीद
उत्तर प्रदेश के शहर कानपुर के सैय्यद नगर इलाक़े में, सितंबर की शुरुआत में ईद मिनलदुन्नबी के मौके पर “I Love Muhammad ﷺ” लिखे बोर्ड और एक शामियाना (टेंट) रास्ते पर लगाया गया। हिन्दू तंज़ीमों ने इस बात को मसला इसलिए बनाया क्यूंकि ये जगह उस रास्ते पर थी जहाँ से हर साल राम नवमी जुलूस निकलता है।
इस इश्तिहार (बोर्ड) पर एतराज़ जताते हुए कुछ हिंदू तंज़ीमों ने कहा कि ये एक नई रवायत (tradition) शुरू करने की कोशिश है, जिसे उन्होंने “जान-बूझ कर की गई उकसाहट (provocation)” करार दिया।
पुलिस की कारवाई और FIR (I Love Mohammad board controversy hindi)
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9 नामज़द और तक़रीबन 15–16 नामालूम अफ़राद के ख़िलाफ़ पुलिस ने FIR दर्ज की।
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जिनके नाम शामिल किए गए उनमें शराफ़त हुसैन, बाबू अली, मोहम्मद सिराज, रहमान, इकराम अहमद, इक़बाल, बंटी, कुन्नू कबाड़ी, साहनूर आलम और दो गाड़ी ड्राइवर शामिल हैं।
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CCTV फुटेज से तस्दीक़ (confirmation) का दावा किया गया।
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शिकायत सब-इंस्पेक्टर पंकज शर्मा ने दर्ज कराई, और ये केस रावतपुर थाने में रजिस्टर हुआ।
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SHO के. के. मिश्रा ने इल्ज़ाम लगाया कि ये अमल “जान-बूझ कर किया गया” ताकि अमन-ओ-आमान (communal harmony) को नुक़सान पहुँचे।
पुलिस का बयान (I Love Mohammad board controversy hindi)
पुलिस के मुताबिक़, बोर्ड और शामियाना एक ऐसे गेट के पास लगाया गया जो राम नवमी जुलूस का मुक़र्रर रास्ता है। हुक्काम (authorities) ने मुतास्सिर अफ़राद से गुज़ारिश की कि वो खुद इसे हटा लें, यहाँ तक कि मुसलमान उलेमा को भी बीच-बचाव के लिए बुलाया गया, लेकिन जब ये कोशिशें नाकाम रहीं तो पुलिस ने ख़ुद ही बोर्ड और शामियाना हटवा दिया।
डीसीपी दिनेश त्रिपाठी ने कहा:
“सड़क पर किसी नई रवायत की इजाज़त नहीं दी जाएगी। ये अमन-ओ-आमान के लिए ख़तरा था और कोई भी मुलव्विस (involved) बख्शा नहीं जाएगा।”
तन्क़ीद (Criticism) (I Love Mohammad board controversy hindi)
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इस कारवाई पर मुसलमान रहनुमाओं और सिविल सोसायटी ने शदीद (severe) तन्क़ीद की।
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AIMIM के सदर असदुद्दीन ओवैसी ने FIR की मज़म्मत (condemn) करते हुए कहा कि ये रसूलुल्लाह ﷺ से मोहब्बत का इज़हार है, और इसे जुर्म करार देना नाइंसाफी है।
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ओवैसी ने अल्लामा इक़बाल का शेर शेयर किया – “रसूल ﷺ की मोहब्बत जुर्म नहीं, अगर है भी तो मैं हर सज़ा क़बूल करता हूँ।”
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हक़-ए-इंसानी (rights) के कारकुनान का कहना है कि अक्सर मुसलमानों के धार्मिक इज़हार को टारगेट किया जाता है, जबकि हिंदू तंज़ीमें अक्सर ज़्यादा छूट पाती हैं।
- मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन और सिविल सोसायटी ने इसे धार्मिक आज़ादी (freedom of religion) पर हमला बताया।
ताज़ा अपडेट्स (I Love Mohammad board controversy hindi)
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रिपोर्ट्स के मुताबिक़, कानपुर में मुसलमानों ने पुरअमन एहतिजाज (peaceful protest) किया और FIR वापिस लेने का मुतालिबा किया।
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सोशल मीडिया पर #ILoveMuhammad ट्रेंड कर रहा है, जहाँ लोग इसे इमान और मोहब्बत का इज़हार बता रहे हैं।
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अब तक किसी नामज़द शख्स की गिरफ़्तारी की रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
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पुलिस का कहना है कि “मुक़र्रर रास्तों पर नई रवायत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
मसाइल और सवालात (I Love Mohammad board controversy hindi)
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धार्मिक इज़हार बनाम अमन-ओ-आमान
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हिंदुस्तान का दस्तूर (Constitution) हर शख्स को इबादत और मोहब्बत का इज़हार करने की आज़ादी देता है। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सार्वजनिक रास्तों पर ऐसे बोर्ड लगाना एक हद से आगे बढ़ जाना है?
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मुसलमानों का निशाना बनना
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तन्क़ीद करने वालों का कहना है कि अगर इसी तरह का बोर्ड किसी और मज़हब के नाम पर होता तो शायद इतनी सख़्ती न होती।
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इत्तेहाद (Unity) की ज़रूरत
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उलेमा और समाजी रहनुमाओं का कहना है कि ऐसे मौक़ों पर दोनों समुदायों को तहरीक़ से बचना चाहिए और अमन-ओ-सलामती (peace) को तरजीह देना चाहिए।
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कानपुर का ये वाक़ेआ सिर्फ़ एक बोर्ड का मसला नहीं है बल्कि ये सवाल उठाता है कि धार्मिक मोहब्बत और इज़हार कहाँ तक जायज़ है और पब्लिक स्पेस की हदें कहाँ शुरू होती हैं।
मुसलमानों का कहना है कि “रसूल सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम से मोहब्बत का इज़हार इमान का हिस्सा है और इसे जुर्म बनाना ज़ुल्म है।” दूसरी तरफ़ पुलिस और प्रशासन इसे “अमन-ओ-आमान के लिए ख़तरा” बताते हैं।
FAQs — Kanpur “I Love Muhammad ﷺ” बोर्ड केस (I Love Mohammad board controversy hindi)
Q1: कानपुर में “I Love Muhammad ﷺ” बोर्ड क्यों लगाया गया था?
Answer: ये बोर्ड मुसलमानों ने रसूलुल्लाह ﷺ से मोहब्बत का इज़हार करने के लिए लगाया था, जिसे बारावफात और मिलाद-उन-नबी के मौक़ों से जोड़कर देखा जा रहा है।
Q2: FIR में कितने लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है?
Answer: पुलिस ने 9 नामज़द और तक़रीबन 15–16 नामालूम अफ़राद के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की है।
Q3: पुलिस ने FIR किस वजह से दर्ज की?
Q4: मुसलमान रहनुमाओं और सिविल सोसायटी का रद्द-ए-अमल (reaction) क्या है?
Answer: AIMIM सदर असदुद्दीन ओवैसी और दूसरे मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन ने इस FIR को नाइंसाफी करार दिया। उनका कहना है कि “रसूल ﷺ से मोहब्बत जुर्म नहीं हो सकती।”
Q5: अभी इस केस की ताज़ा सूरत-ए-हाल (latest update) क्या है?
Answer: अब तक किसी नामज़द शख़्स की गिरफ़्तारी नहीं हुई है। मुसलमानों ने पुरअमन एहतिजाज किया और FIR वापिस लेने का मुतालिबा किया। सोशल मीडिया पर #ILoveMuhammad ट्रेंड कर रहा है।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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