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इस्लामी साल 2025 हिजरी कैलेंडर (1446-1447) ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar – Authentic Details)

इस्लामी साल 2025 हिजरी कैलेंडर (1446-1447) ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

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इस्लामी साल 2025, हिजरी सन 1446 और 1447 AH पर मुश्तमिल है। चाँद के दिखाई देने पर मबनी ये कैलेंडर मुसलमानों की इबादात, रोज़ा, हज और ईद की बुनियाद है। इस साल बहुत सी अहम तारीख़ें और रूहानी मौके आने वाले हैं जो मुसलमानों के लिए बड़ी फ़ज़ीलत रखते हैं।

इस्लामी साल 2025 हिजरी कैलेंडर यहां से डाउनलोड करें – Islamic Calendar 2025

2025 की अहम इस्लामी तारीख़ें ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

1. इसरा व मीराज – 27 रजब 1446 / 27 जनवरी 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

2. शबे-बरात (निस्फ़-ए-शाबान) – 15 शाबान 1446 / 14 फ़रवरी 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

3. रमज़ान का आग़ाज़ – 1 रमज़ान 1446 / 1 मार्च 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

4. लैलतुल-क़द्र – 27 रमज़ान 1446 / 27 मार्च 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

5. ईद-उल-फ़ित्र – 1 शव्वाल 1446 / 31 मार्च 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

6. ज़ुल-हिज्जा का आग़ाज़ – 28 मई 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

7. यौम-ए-अरफ़ा – 5 जून 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

8. ईद-उल-अज़हा – 6 जून 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

9. हिजरी नया साल (1 मुहर्रम 1447) – 26 जून 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

10. आशूरा (10 मुहर्रम) – 5–6 जुलाई 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

11. अरबईन – 14 अगस्त 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

12. मिलाद-उन-नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम – 4 सितम्बर 2025 ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

FAQs  ( Islamic Year 2025 Hijri Calendar)

1. हिजरी तारीख़ें क्यों बदलती हैं?
क्योंकि इस्लामी कैलेंडर चाँद पर मुनहसिर है और साल 354 दिनों का होता है, जो ग्रेगोरियन साल से 11 दिन छोटा है।

2. रमज़ान 2025 कब शुरू होगा?
1 मार्च 2025 (चाँद देखने पर इख़्तिलाफ़ हो सकता है)।

3. ईद-उल-फ़ित्र और ईद-उल-अज़हा क्यों मनाई जाती है?
ईद-उल-फ़ित्र रमज़ान के मुकम्मल होने पर, और ईद-उल-अज़हा नबी इब्राहीम अलैहिस्सलाम की कुर्बानी की याद में।

4. आशूरा का रोज़ा क्यों अहम है?
इस दिन अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन से निजात दी, और नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने इस दिन का रोज़ा रखने की तरगीब दी।

5. मिलाद-उन-नबी सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम मनाने की बुनियाद क्या है?
ये दिन रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की पैदाइश की याद में मोहब्बत और एहतराम का इज़हार है, जिसे मुसलमान मुख़्तलिफ़ तरीक़ों से मनाते हैं।

जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे  – आमीन ।

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