फिल्म किंगडम ऑफ हेवन और सलाहुद्दीन अय्यूबी ( Kingdom of Heaven Movie Hindi urdu )
फिल्म “Kingdom of Heaven” (किंगडम ऑफ हेवन) एक ऐतिहासिक ड्रामा है जो 12वीं सदी के क्रूसेड्स (धर्मयुद्ध) के दौर पर आधारित है। इसमें एक साधारण लोहार बेलियन की कहानी दिखाई गई है, जो यरूशलेम पहुँचकर ईमान, इंसाफ और इंसानियत के लिए संघर्ष करता है।
इस फिल्म में मुस्लिम इतिहास की महान शख़्सियत सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी रहमतुल्लाह अलैह को भी दिखाया गया है। सलाहुद्दीन अपनी अदम्य बहादुरी, शौर्य और रहमत भरे दिल के लिए मशहूर थे। उन्होंने यरूशलेम को इस्लाम के नाम पर आज़ाद करवाया और दुश्मनों के साथ भी इंसाफ व रहम का सुलूक किया। फिल्म में उनका किरदार मुस्लिम दर्शकों के लिए ख़ास आकर्षण है, क्योंकि यह सलाहुद्दीन की शख्सियत को एक सच्चे मुस्लिम सिपाही और रहमदिल नेता के रूप में पेश करता है।
यह मूवी सिर्फ़ युद्ध की कहानी नहीं बल्कि इस्लामी इतिहास, सलाहुद्दीन की इंसाफ़पसंदी और इंसानियत का पैग़ाम भी पेश करती है।
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सलाहुद्दीन अय्यूबी – रहमत और बहादुरी की मिसाल ( Kingdom of Heaven Movie Hindi urdu )
सलाहुद्दीन अय्यूबी रहमतुल्लाह अलैह (1137–1193) इस्लामी इतिहास के सबसे महान सिपाहियों और शासकों में गिने जाते हैं। वे अपनी बहादुरी, इंसाफ़ और रहमत के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हुए। 1187 में उन्होंने यरूशलेम को क्रूसेडर्स से आज़ाद करवाया, लेकिन जीत के बाद भी उन्होंने ईसाई कैदियों और आम लोगों के साथ रहमत और इंसाफ़ से पेश आकर दुनिया को दिखाया कि इस्लाम सिर्फ़ तलवार नहीं बल्कि इंसानियत और रहम का पैग़ाम देता है।
सलाहुद्दीन का किरदार फिल्म Kingdom of Heaven में भी अहमियत रखता है, जहाँ उन्हें एक रहमदिल और बहादुर लीडर के रूप में दिखाया गया है। यह किरदार मुस्लिम दर्शकों के लिए ख़ास दिलचस्पी का कारण बनता है, क्योंकि यह असल तारीख़ी हक़ीक़त की झलक पेश करता है।
सलाहुद्दीन अय्यूबी से जुड़ी 5 अहम बातें:
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यरूशलेम की फ़तह (1187 ई.) – हत्ती की जंग (Battle of Hattin) में बड़ी जीत के बाद उन्होंने यरूशलेम को क्रूसेडर्स से आज़ाद करवाया।
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रहमत भरा सुलूक – जीत के बाद उन्होंने किसी का कत्लेआम नहीं किया, बल्कि ईसाई और यहूदी आबादी को अमन और इज्ज़त के साथ जीने दिया।
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इंसाफ़पसंदी – सलाहुद्दीन अपने दुश्मनों तक के लिए इंसाफ़ और रहम का सुलूक करने के लिए जाने जाते हैं।
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ईमानदारी और सादगी – उनकी ज़िंदगी बहुत सादी थी। यहां तक कि उनकी वफ़ात के वक्त उनके पास कोई बड़ी दौलत नहीं थी, सब कुछ उम्मत और फौज के लिए खर्च कर चुके थे।
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इस्लामी एकता – उन्होंने मिस्र और शाम (Syria) को एकजुट किया और मुस्लिम उम्मत को मज़बूत बनाने में अहम किरदार निभाया।
जज़ाकल्लाह खैर।
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