हज में मक़ाम ए मुजदलिफा की अहमियत ( muzdalifah hajj hindi )
वादी ए मीना और अराफात के पहाड़ के बीच में मुजदलिफा का खुला मैदान मौजूद है, जहां नौ ( 9 ) ज़ुल हिज्जा ( हज के दूसरे दिन ) सूरज डूबने के बाद हाजी , अराफात से यहां आते है और यही पर रात गुज़ारते है । मुजदलिफा में रात गुज़ारना हज का एक अहम् हिस्सा है ।
मुजदलिफा का मैदान, मुहस्सर घाटी से लेकर माज़ामायन पहाड़ी तक फैला हुआ है जिसकी लम्बाई तकरीबन चार किलोमीटर है और कुल 12.25 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है ।
क़ुरआन में मुजदलिफा का जिक्र ( muzdalifah hajj hindi )
अल्लाह सुब्हानवताला ने क़ुरान में सूरह बक़रह में फ़रमाया – ” जब तुम अराफ़ात से लौटो , तो मशरूल हरम में अपने रब को याद करो।”
हज़रते अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहुताला अन्हु से रिवायत है – ये मुक़द्दस जगह “मशरूल हरम” मुजदलिफा का हिस्सा है।
मुजदलिफा में नमाज़ अदा करने का तरीका ( prayers in muzdalifah hajj hindi )
रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम ने हज अल वदा के दौरान , मगरिब और इशा की नमाज़ मुजदलिफा में ही एक साथ अदा की थी। आप उस जगह पर रुके जहां आज के वक़्त में मस्जिद ए मशअरुल हरम है और फ़रमाया – हालांकि में यहां वुक़ूफ़ अदा कर रहा हूँ , पर तुम मुजदलिफा में कही भी वुक़ूफ़ अदा कर सकते हो ।
वुक़ूफ़ याने मुजदलिफा के मैदान में अराफात से लौटते वक़्त खुले आसमान के नीचे रब को याद कर रात गुज़ारना ।
मुजदलिफा में हज के दौरान मगरिब और इशा की नमाज़ को एक साथ अदा करना वाजिब है , वुक़ूफ़ के वक़्त हाजी , मगरिब और इशा की नमाज़ यहां एक साथ पड़ते है और फिर फज़र की नमाज़ अदा करके वुक़ूफ़ पूरा करते है ।
मुजदलिफा की दीगर मालूमात ( muzdalifah hajj hindi )
मुजदलिफा को रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम ने जाम यांने लोगो के रुकने की जगह या इकट्ठा होने की जगह पुकारा । हाजी यहां वुक़ूफ़ करते है और यही से मीना जमारात में मौजूद खम्भों में कंकर मारने के लिए कंकर भी चुनते है । हलाकि कंकर कही से भी चुने जा सकते है ।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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