खाना ए काबा का तवाफ़ कैसे करते हैं ? ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi 7 Round of Kaaba )
तवाफ़-ए-काबा हज और उमरा की सबसे अहम इबादतों में से है। इसका मतलब है काबा शरीफ़ के गिर्द सात चक्कर लगाना, जो अल्लाह तआला की इबादत और उसकी रहमत के क़रीब होने का वसीला है। क़ुरआन और हदीस में तवाफ़ की अज़मत, तरीक़ा और आदाब का ज़िक्र आता है।
क़ुरआन का हवाला ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
अल्लाह तआला फरमाते है – “और हमने इब्राहीम और इस्माईल को हुक्म दिया कि मेरे घर को तवाफ़ करने वालों, एतिकाफ़ करने वालों, रुकू और सजदा करने वालों के लिए पाक साफ़ रखो।” (सूरह अल-बक़रा, 2:125)
हदीस का हवाला ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम फ़रमाते हैं – “जो शख़्स काबा का तवाफ़ करता है और सात चक्कर पूरे करता है, उसके लिए हर क़दम पर नेकियों का दर्ज़ होता है और गुनाह मिटा दिए जाते हैं।” (सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 959)
तवाफ़ के मरहले Steps of Tawaf ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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निय्यत (Niyyah)
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दिल में निय्यत करें: “ऐ अल्लाह! मैं तेरा तवाफ़ करता हूँ, इसे मेरे लिए आसान बना और क़बूल फ़रमा।”
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हजर-ए-असवद (Black Stone) से आग़ाज़
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तवाफ़ हमेशा हजर-ए-असवद (काला पत्थर) से शुरू होता है।
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हाथ या इशारा करके “बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर” कहना सुन्नत है।
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काबा शरीफ़ के गिर्द सात चक्कर
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तवाफ़ हमेशा एंटी-क्लॉकवाइज़ (बाएँ हाथ की तरफ़ काबा रखते हुए) किया जाता है।
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तीन पहले चक्कर मर्दों के लिए रमल (तेज़ क़दमों से हल्का दौड़ना) के साथ सुन्नत है।
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बाक़ी चार चक्कर आराम से चलते हुए पूरे किए जाते हैं।
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मुल्क़-ए-इब्राहीम के पास नमाज़
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सात चक्कर पूरे करने के बाद मक़ाम-ए-इब्राहीम के पीछे दो रकअत नमाज़ पढ़ना सुन्नत है।
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ज़मज़म का पानी पीना
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तवाफ़ के बाद ज़मज़म पीना और दुआ करना मुस्तहब (बेहतर अमल) है।
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मर्द और औरतों के लिए अहकाम ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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मर्दों के लिए:
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एहराम के ऊपर रिदा को दाहिने कांधे से खोलकर (इज़्तिबा) तवाफ़ करना।
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पहले तीन चक्करों में तेज़ क़दम से चलना (रमल)।
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औरतों के लिए:
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तवाफ़ के दौरान भीड़ से बचने के लिए काबा से कुछ दूर तवाफ़ करना।
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आराम से और हया के साथ चलना।
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तवाफ़ की दूरी और सफ़र ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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काबा के बिल्कुल क़रीब तवाफ़ करने से तक़रीबन 80 मीटर (प्रति चक्कर) तय होता है।
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यानी सात चक्कर = लगभग .5 किलोमीटर।
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भीड़ से बचने के लिए दूर (मस्जिद के किनारे से) तवाफ़ करने पर दूरी बढ़कर 300–400 मीटर प्रति चक्कर हो सकती है।
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यानी सात चक्कर = लगभग 2–2.8 किलोमीटर।
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तवाफ़ की तारीख़ी अहमियत ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) और इस्माईल (अलैहिस्सलाम) ने काबा को बनाने के बाद तवाफ़ किया।
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रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने हिजरत के बाद और हज्जतुल विदा (आख़िरी हज) में तवाफ़ करके उम्मत के लिए मिसाल क़ायम की।
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हदीस में आता है कि जब हज के दौरान सहाबा कराम ने तवाफ़ किया, तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने रमल का हुक्म दिया ताकि मुश्रिकीन देख लें कि मुसलमान कमज़ोर नहीं हुए।
नए हाजियों के लिए रहनुमाई (Guidance for New Pilgrims) ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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तवाफ़ से पहले वुज़ू मुकम्मल होना ज़रूरी है।
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भीड़ में सब्र और सुकून से चलें, धक्का न दें।
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हर चक्कर की गिनती याद रखें – मोबाइल ऐप या तस्बीह मददगार हो सकती है।
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दुआएँ तवाफ़ के दौरान किसी भी ज़बान में की जा सकती हैं।
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अगर भीड़ बहुत हो तो दूर से तवाफ़ करना भी मुकम्मल है।
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हजर-ए-असवद को चूमना फ़र्ज़ नहीं, इशारे से भी सुन्नत पूरी हो जाती है।
खास वाक़िआत (Specific Incidents)( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
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फतह-ए-मक्का (630 ई.) में जब रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम मक्का में दाख़िल हुए तो सबसे पहले तवाफ़ किया।
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हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने हजर-ए-असवद को चूमा और तवाफ़ शुरू किया।
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सहाबा कराम तवाफ़ के दौरान दुआएँ और तिलावत करते रहते थे।
तवाफ़-ए-काबा एक रूहानी सफ़र है जो मोमिन के दिल को अल्लाह की याद से भर देता है। यह न सिर्फ़ हज और उमरा का हिस्सा है बल्कि उम्मत-ए-मुस्लिमाह की इत्तेहाद और इबादत की अज़ीम मिसाल है।
तवाफ़-ए-काबा की दुआएँ ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
1. आग़ाज़ (Start at Hajar-e-Aswad)
Arabic:
بِسْمِ اللهِ، اللهُ أَكْبَرُ
Hindi: बिस्मिल्लाह, अल्लाहु अकबर (Bismillah, Allahu Akbar)
English: In the name of Allah, Allah is the Greatest.
2. हर चक्कर के दौरान आम दुआ
Arabic:
سُبْحَانَ اللّٰهِ، وَالْحَمْدُ لِلّٰهِ، وَلَا إِلٰهَ إِلَّا اللّٰهُ، وَاللّٰهُ أَكْبَرُ، وَلَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ إِلَّا بِاللّٰهِ
Hindi:
सुब्हानल्लाह, अल्हम्दु लिल्लाह, ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अकबर, ला हौल व ला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह।
English:
Glory be to Allah, all praise belongs to Allah, there is no god but Allah, Allah is the Greatest, and there is no power and no strength except with Allah.
Hinglish:
SubhanAllah, Alhamdulillah, La ilaha illallah, Allahu Akbar, La hawla wa la quwwata illa billah.
3. रुक्न-ए-यमानी से हजर-ए-असवद तक
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम यह दुआ पढ़ते थे:
Arabic (Quran 2:201):
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً، وَفِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً، وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
Hindi:
“ऐ हमारे रब! हमें दुनिया में भलाई दे और आख़िरत में भी भलाई दे, और हमें आग के अज़ाब से बचा।”
English:
“Our Lord! Grant us good in this world and good in the Hereafter, and protect us from the punishment of the Fire.”
Hinglish:
Rabbana atina fid-dunya hasanatan, wa fil-akhirati hasanatan, wa qina ‘adhab an-nar.
4. तवाफ़ के दौरान पढ़ी जाने वाली दुआएँ
आप अपनी ज़रूरत की दुआएँ कर सकते हैं, जैसे:
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मग़फ़िरत की दुआ:
اللهم اغفر لي ولوالدي وللمؤمنين والمؤمنات
(ऐ अल्लाह! मुझे, मेरे वालिदैन को और तमाम मोमिन मर्द-औरतों को बख़्श दे।)
Allahummaghfir li wa liwalidayya wa lil-mu’mineena wal-mu’minat. -
रिज़्क़ की दुआ:
اللهم ارزقني رزقاً حلالاً واسعاً مباركاً فيه
(ऐ अल्लाह! मुझे हलाल, वसी और बरकत वाला रिज़्क़ अता कर।) Allahummarzuqni rizqan halalan wasi‘an mubarakan fihi. -
हिदायत की दुआ:
اللهم اهدنا الصراط المستقيم
(ऐ अल्लाह! हमें सीधा रास्ता दिखा।) Allahumma ihdina-siratal-mustaqeem.
5. तवाफ़ मुकम्मल होने पर मक़ाम-ए-इब्राहीम पर नमाज़
नमाज़ के बाद यह दुआ करें:
Arabic:
اللّهُمَّ اجعلْهُ حَجًّا مَبرُورًا، وَسَعيًا مَشكُورًا، وَذَنبًا مَغفُورًا
Hindi:
“ऐ अल्लाह! इसे मबरूर हज बना, मेरे सई को क़ुबूल कर और मेरे गुनाह माफ़ फ़रमा।”
English:
“O Allah! Make this a Hajj that is accepted, a Sa’i that is appreciated, and sins that are forgiven.”
Hinglish:
Allahumma aj‘alhu hajjan mabrooran, wa sa‘yan mashkooran, wa dhanban maghfooran.
नोट:
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तवाफ़ में हर चक्कर की मुक़र्रर दुआ नहीं है, सिर्फ़ रुक्न-ए-यमानी और हजर-ए-असवद के बीच की दुआ (रब्बना आतिना…) सुन्नत से साबित है।
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बाक़ी पूरे तवाफ़ में इंसान अपने दिल की दुआएँ माँग सकता है – सेहत, ईमान, जन्नत, रिज़्क़, औलाद, रहमत, हर नेक हाजत के लिए।
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सिर्फ़ “रब्बना आतिना…” (सूरह बक़रा 201) सुन्नत से साबित है।
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बाक़ी दुआएँ नफ़्ली हैं, जो इंसान अपनी ज़रूरत के मुताबिक माँग सकता है।
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तवाफ़ के दौरान क़ुरआन की तिलावत, इस्तिग़फ़ार, और ज़िक्रुल्लाह भी करना अफ़ज़ल है।
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5 FAQ about Tawaf-e-Kaaba ( Tawaf e Kaaba steps in Hindi )
Q1: तवाफ़ कहाँ से शुरू होता है?
तवाफ़ हमेशा हजर-ए-असवद (Black Stone) से शुरू और वहीं ख़त्म होता है।
Q2: तवाफ़ के कितने चक्कर होते हैं?
कुल सात चक्कर (Anti-clockwise) लगाए जाते हैं।
Q3: क्या तवाफ़ बिना वुज़ू के हो सकता है?
नहीं, तवाफ़ के लिए वुज़ू ज़रूरी है, जैसे नमाज़ के लिए होता है।
Q4: मर्द और औरतों के तवाफ़ में क्या फ़र्क़ है?
मर्द पहले तीन चक्करों में रमल (तेज़ क़दम) करेंगे और इज़्तिबा (दाहिने कांधे को खुला रखना) करेंगे। औरतें भीड़ से बचने के लिए आराम से और हया के साथ तवाफ़ करेंगी।
Q5: तवाफ़ में कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए?
कोई मुक़र्रर दुआ फ़र्ज़ नहीं, लेकिन सुन्नत दुआ है – “रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या हसनतन व फ़िल आख़िरति हसनतन वक़िना अज़ाबन्नार” (सूरह बक़रा: 201)।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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