सफ़र और नमाज़ – मुसाफ़िर के लिए अहकाम (5 time prayer rule for travellers hindi- Authentic Details)

सफ़र और नमाज़ – मुसाफ़िर के लिए अहकाम (5 time prayer rule for travellers hindi)

5 time prayer rule for travellers hindi

इस्लाम में नमाज़ (सलात) की अहमियत हर हाल में क़ायम रहती है – चाहे इंसान अपने घर पर हो या सफ़र (यात्रा) में। लेकिन सफ़र की हालत में नमाज़ अदा करने के कुछ अलग अहकाम (rules) हैं, जिन्हें सलात अल-मुसाफ़िर कहा जाता है। इस लेख में हम देखेंगे कि मुसाफ़िर किसे कहते हैं, सफ़र में नमाज़ कैसे अदा की जाती है, क़ुरआन और हदीस में इसके बारे में क्या हुक्म है, और हज के दौरान इसका क्या लागू होता है।

मुसाफ़िर किसे कहते हैं? (5 time prayer rule for travellers hindi)

“मुसाफ़िर” एक अरबी लफ़्ज़ है जिसका मतलब होता है यात्री या सफ़र करने वाला इंसान।
इस्लामी निज़ाम के मुताबिक़ जब कोई शख़्स अपने शहर या बस्ती से सफ़र की नियत करके कम से कम एक निश्चित दूरी तय करता है तो वह मुसाफ़िर कहलाता है।

  • हनाफ़ी फ़िक़्ह के मुताबिक़, कम से कम 77 किलोमीटर का सफ़र करने वाला शख़्स मुसाफ़िर होता है।

  • अगर कोई शख़्स नए शहर या जगह में 15 दिन से कम रुकने का इरादा रखे तो वह मुसाफ़िर ही रहेगा।

  • लेकिन अगर उसका इरादा 15 दिन या उससे ज़्यादा ठहरने का हो, तो वह मुक़ीम (स्थायी रहने वाला) कहलाएगा, और उस पर पूरी नमाज़ वाजिब होगी।

क़ुरआन से मुसाफ़िर और नमाज़ का ज़िक्र (5 time prayer rule for travellers hindi)

1. सफ़र में नमाज़ को छोटा करने की इजाज़त

सूरतुन्निसा (4:101) – “और जब तुम सफ़र करो तो तुम पर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को छोटा कर लो…”  (क़ुरआन, 4:101)

तफ़्सीर उलमा के मुताबिक़, यह आयत मुसाफ़िर के लिए आसानी और रहमत का सबूत है।

2. सफ़र और रोज़ा की रियायत

सूरतुल बक़रा (2:185) –  “…और जो बीमार हो या सफ़र में हो, तो (छूटे हुए रोज़ों की) तादाद दूसरे दिनों में पूरी करे।” (क़ुरआन, 2:185)

यह आयत बताती है कि सफ़र की हालत में अल्लाह ने नमाज़ और रोज़े दोनों में रियायत दी है।

हदीस से मुसाफ़िर की नमाज़ (5 time prayer rule for travellers hindi)

1. क़सर नमाज़ की हदीस

हज़रत इब्न उमर (रज़ि.) फ़रमाते हैं –  “मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम के साथ सफ़र किया, तो आपने ज़ुहर और अस्र की नमाज़ दो-दो रकअत पढ़ी।” (सहीह बुख़ारी 1090, मुस्लिम 689)

2. सफ़र में नमाज़ की रियायत

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया – “अल्लाह ने मुसाफ़िर से नमाज़ का आधा हिस्सा माफ़ किया है, और रोज़ा भी।” (सुनन नसाई 2274, तिर्मिज़ी 548)

3. सफ़र में जमअ (दो नमाज़ों को मिलाना)

हज़रत इब्न अब्बास (रज़ि.) फ़रमाते हैं: “रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने सफ़र में ज़ुहर और अस्र, और मग़रिब और ईशा को एक साथ पढ़ा।” (सहीह मुस्लिम 705)

सफ़र में नमाज़ (क़सर सलात) (5 time prayer rule for travellers hindi)

सफ़र की हालत में मुसलमान पर रहमत और आसानी के तौर पर अल्लाह तआला ने नमाज़ को आसान कर दिया है।

  • ज़ुहर, अस्र और ईशा की चार रकअत फ़र्ज़ नमाज़ सफ़र में घटाकर दो रकअत कर दी जाती है।

  • मगरिब (3 रकअत) और फ़ज्र (2 रकअत) ज्यों की त्यों रहती हैं।

  • सुन्नत नमाज़ें (ख़ासकर सुन्नत-ए-मुअक्कदा) सफ़र में अदा की जा सकती हैं, लेकिन मजबूरी में छोड़ी भी जा सकती हैं।

  • नफ़्ल नमाज़ें सफ़र में कार, बस या जहाज़ में बैठकर भी अदा की जा सकती हैं।

हज और मुसाफ़िर की नमाज़ (5 time prayer rule for travellers hindi)

हर साल लाखों मुसलमान हज के लिए सफ़र करते हैं और मुसाफ़िर की हालत में होते हैं।

  • मिऩा, अरफ़ात और मुज़दलिफ़ा के बीच मुसाफ़िर नमाज़ क़सर अदा करता है।

  • अक्सर वहाँ जमअ (दो नमाज़ों को मिलाना) भी किया जाता है, जैसे ज़ुहर और अस्र को एक साथ।

  • अगर कोई हाजी मक्का या मदीना में 15 दिन से ज़्यादा रुकने का इरादा करे तो वह मुक़ीम कहलाएगा और पूरी नमाज़ पढ़ेगा।

सफर से रिलेटेड वीडियो ( How To Pray Qasr Namaz Hindi ) – 

सफ़र के दौरान सलात (सलात अल-मुसाफिर) Salat During Travel (Salat al-Musafir) 

दीन में मुसाफिर किसे पुकारा गया है? Shortening the Prayer Salat Al-Qasr

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQ (5 time prayer rule for travellers hindi)

Q1. मुसाफ़िर किसे कहते हैं?
मुसाफ़िर वह इंसान है जो अपने शहर से सफ़र की नियत करके कम से कम 77 किलोमीटर की दूरी तय करे और नए शहर में 15 दिन से कम रुकने का इरादा रखे।

Q2. सफ़र में कौन सी नमाज़ें क़सर होती हैं?
ज़ुहर, अस्र और ईशा की चार रकअतें घटाकर दो रकअत पढ़ी जाती हैं। मगरिब और फ़ज्र ज्यों की त्यों रहती हैं।

Q3. क्या सफ़र में सुन्नत नमाज़ें पढ़नी ज़रूरी हैं?
सफ़र में फ़र्ज़ नमाज़ें अनिवार्य हैं। सुन्नत-ए-मुअक्कदा पढ़ना अफ़ज़ल है, लेकिन सफ़र की मशक्कत हो तो छोड़ी जा सकती हैं।

Q4. हज के दौरान मुसाफ़िर की नमाज़ कैसे होती है?
हज के सफ़र में मुसलमान क़सर नमाज़ अदा करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर दो नमाज़ों को मिलाकर भी अदा करते हैं।

Q5. अगर कोई शख़्स नए शहर में 15 दिन से ज़्यादा रुकने का इरादा करे तो क्या होगा?
वह मुक़ीम कहलाएगा और उसे पूरी (चार रकअत) नमाज़ अदा करनी होगी।

क़ुरआन और हदीस दोनों इस बात की तस्दीक़ करते हैं कि सफ़र की हालत में नमाज़ को छोटा करना (क़सर) और कभी-कभी मिलाकर पढ़ना (जमअ) अल्लाह की तरफ़ से रहमत और आसानी है। मुसलमान चाहे सफ़र में हों या हज के दौरान, हर हाल में अल्लाह की इबादत को आसानी से अदा कर सकते हैं।

जज़ाकल्लाह खैर।

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