इस्लाम में ईमान के 6 अरकान ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi – Authentic Details)

इस्लाम में ईमान के 6 अरकान ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

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6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi

 

 

 

 

 

 

 

ईमान (Iman) का मतलब होता है यक़ीन और अकीदा। इस्लाम में “ईमान” का मतलब है अल्लाह तआला की बताई हुई बातों पर दिल से यक़ीन करना और उन्हें सच्चा मानना। क़ुरआन और हदीस में यह साफ़ किया गया है कि एक मोमिन (ईमान वाला) तब तक मुकम्मल मोमिन नहीं हो सकता जब तक वह “ईमान के छह अरकान” को न माने।

1. अल्लाह पर ईमान Belief in Allah ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

मुसलमान का पहला और सबसे अहम ईमान है कि वह सिर्फ़ एक अल्लाह को माने, जो बेनज़र है, जो हर चीज़ का ख़ालिक़ (Creator) है। अल्लाह का कोई शरीक नहीं है, ना उस जैसा कोई है।

“क़ुल हुवल्लाहु अहद, अल्लाहुस्समद…” (सूरह इख़लास)

2. फ़रिश्तों पर ईमान Belief in Angels ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

मुसलमान को इस बात पर ईमान लाना चाहिए कि अल्लाह सुब्हानवताला ने फ़रिश्तों को नूर (रौशनी) से पैदा किया। ये फ़रिश्ते अल्लाह सुब्हानवताला के हुक्म से काम करते हैं। जैसे — जिब्रील (अ.स), मीकाईल (अ.स), इस्राफ़ील (अ.स), मलकुल मौत (अ.स) वग़ैरह।

3. आसमानी किताबों पर ईमान Belief in Divine Books ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

हर मुसलमान को अल्लाह की नाज़िल की गई किताबों पर यक़ीन करना चाहिए। इनमें शामिल हैं-

  • तौरेत (हज़रत मूसा अ.स पर)

  • ज़बूर (हज़रत दाऊद अ.स पर)

  • इंजील (हज़रत ईसा अ.स पर)

  • क़ुरआन (हज़रत मुहम्मद ﷺ पर)

क़ुरआन करीम आख़िरी और सबसे मुकम्मल किताब है जो तमाम इंसानियत के लिए है।

4. पैग़म्बरों पर ईमान Belief in Prophets ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

अल्लाह ने हर दौर में अपने रसूल भेजे। हज़रत आदम (अ.स) से लेकर आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ तक, तमाम अंबिया (Prophets) अल्लाह के भेजे हुए थे। हमें सभी नबियों पर ईमान लाना है और उनमें फर्क नहीं करना।

5. आख़िरत पर ईमान Belief in the Day of Judgment ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

यह यक़ीन रखना कि मौत के बाद दोबारा जिन्दा उठाया जाएगा और फिर हश्र (Judgment) का दिन आएगा। उस दिन हर इंसान को उसके अच्छे और बुरे आमाल का हिसाब दिया जाएगा।

6. तक़दीर पर ईमान Belief in Divine Decree/Qadr ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

तक़दीर यानी अल्लाह सुब्हानवताला की मर्ज़ी और उसके फैसले पर यक़ीन रखना। चाहे वह इंसान को अच्छा लगे या बुरा, हर चीज़ अल्लाह सुब्हानवताला की इल्म और हिकमत से होती है। अच्छा-बुरा सब उसी की मर्ज़ी से होता है।

ईमान के यह छह अरकान इस्लामी अकीदे की बुनियाद हैं। इन पर यक़ीन रखना हर मुसलमान के लिए लाज़िमी (necessary) है। इन पर अमल करके ही एक मोमिन अपने ईमान को मुकम्मल बना सकता है और दुनिया व आख़िरत में कामयाबी पा सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवालात FAQ ( 6 Pillars of Iman Faith in Islam Hindi )

Q1. ईमान के छह अरकान कौन-कौन से हैं?

जवाब – ईमान के छह अरकान ये हैं:

  1. अल्लाह सुब्हानवताला पर ईमान

  2. फ़रिश्तों पर ईमान

  3. आसमानी किताबों पर ईमान

  4. तमाम नबियों पर ईमान

  5. आख़िरत के दिन पर ईमान

  6. तक़दीर (अच्छी और बुरी) पर ईमान

Q2. क्या इन छह अरकान को मानना हर मुसलमान के लिए ज़रूरी है?

जवाब – जी हाँ, हर मुसलमान के लिए इन छह अरकान को मानना फ़र्ज़ (अनिवार्य) है। ये इस्लामी अकीदे की बुनियाद हैं। अगर कोई इनमें से किसी एक का भी इनकार करे, तो उसका ईमान मुकम्मल नहीं रहेगा।

Q3. ईमान और इस्लाम में क्या फ़र्क़ है?

जवाब – ईमान का ताल्लुक़ दिल से यक़ीन और अक़ीदे से होता है, जबकि इस्लाम का ताल्लुक़ ज़ाहिरी अमल से है — जैसे नमाज़, रोज़ा, ज़कात, हज्ज। दोनों एक-दूसरे के मुकम्मिल हैं।

Q4. क्या तक़दीर का मतलब है कि इंसान का सब कुछ पहले से तय है?

जवाब – इस्लामी नज़रिया के मुताबिक़, अल्लाह सुब्हानवताला हर चीज़ का इल्म रखता है और उसने हर चीज़ का एक प्लान तय किया है। मगर इंसान को अक़्ल और इरादा (Free Will) दिया गया है, जिससे वह सही या ग़लत का चुनाव करता है।

Q5. हमें इन अरकान का इल्म क्यों रखना चाहिए?

जवाब – इन अरकान का इल्म रखने से ईमान मज़बूत होता है, और अल्लाह सुब्हानवताला की तअल्लुक़दारी (relationship) गहरी होती है। ये इंसान को सच्चाई, सब्र और परहेज़गारी की राह पर ले जाते हैं।

जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे  – आमीन ।

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