जहन्नम के सात दरजात ( 7 Levels of Jahannam Hindi )
इस्लाम में आख़िरत का यक़ीन एक बुनियादी अकीदा है। यही यक़ीन इंसान को नेक आमाल की तरफ़ राग़िब करता है और बुरे कामों से दूर रहने की नसीहत देता है। क़ुरआन-ए-मजीद और हज़रत मुहम्मद सल्लाहु अलय्हि वसल्लम की हदीसों में जहन्नम के तफ़सीलात बार-बार बयान की गई हैं। यह एक ऐसी जगह है जिसे अल्लाह तआला ने उन लोगों के लिए तैयार किया है जो उस पर ईमान नहीं लाए, उसके अहकामात को ठुकराया और गुनाहों में डूबे रहे।
जहन्नम (Hell) के 7 मुख़्तलिफ़ दरजे हैं, जिन्हें गुनाहों की सख़्ती के मुताबिक़ बनाया गया है। हर दरजा खास गुनहगारों के लिए मुक़र्रर है। ये सारे नाम क़ुरआन और हदीस की बुनियाद पर हैं।
1. Jahannam जहन्नम ( पहला दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
जहन्नम को सात मुख़्तलिफ़ दरजात (levels) में तक़सीम किया गया है। सबसे ऊपरी दर्जा “जहन्नम” कहलाता है, जहां उन मुसलमानों को रखा जाएगा जो अपने आमाल में कोताही बरतते हैं और तौबा किए बग़ैर इस दुनिया से चले जाते हैं। हालांकि ये मोमिन होते हैं, लेकिन उनकी ग़फ़लत उन्हें इस दर्जे की आग में ले जाती है, जो बहुत सख़्त होगी मगर उम्मीद है कि आख़िर में अल्लाह उन्हें निकाल देगा।
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यह सबसे ऊपरी दर्जा है।
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इसमें वो लोग दाख़िल होंगे जिन्होंने इस्लाम को अपनाया लेकिन अपने आमाल (कर्मों) में कोताही की।
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यह उन गुनाहगार मोमिनों के लिए है जो तौबा किए बग़ैर मर गए।
2. Laza लज़ा ( दूसरा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
दूसरे दर्जे को “लज़ा” कहा जाता है। यह उन लोगो और जिन्नो के लिए मुक़र्रर है जिन्होंने नबियों की तालीमात को ठुकराया। यह आग इतनी तेज़ और लपटों से भरी हुई है कि इंसान की चमड़ी तक जला देती है। क़ुरआन की सूरह अल-मआरिज़ में इसका बयान मिलता है।
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यह उन लोगो और जिन्नो के लिए मुक़र्रर है जिन्होंने नबियों की तालीमात को ठुकराया।
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यह आग की बहुत तेज़ लौ वाला दरजा है, जो इंसान की चमड़ी को जला कर रख देता है।
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अल-क़ुरआन ( अल-मआरिज़ 70:15-16) में इसका ज़िक्र आता है।
3. Al-Hutamah अल-हुतमह ( तीसरा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
“अल-हुतमह” नामी तीसरा दरजा उन लोगों के लिए है जो ग़ीबत करते हैं, दूसरों का मज़ाक उड़ाते हैं और दुनियावी माल को घमंड से जमा करते हैं। यह एक दिलों तक पहुंचने वाली आग है, जो ना सिर्फ जिस्म बल्कि रूह को भी जला देती है। सूरह हमज़ा इस दरजे की तफ्सील बयान करती है।
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यह दरजा उन लोगों के लिए है जो दूसरों की ग़ीबत करते हैं, ताना मारते हैं और माल जमा करके तकब्बुर करते हैं।
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इसमें एक ऐसी आग है जो दिलों तक पहुंच जाती है। ( सूरह हमज़ाह )
4. Sa’ir सईर ( चौथा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
“सईर” वह दरजा है जहां मुशरिकों को डाला जाएगा — वो लोग जो अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करते हैं। इस आग की सख़्ती का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है कि ये हमेशा भड़की रहती है और एक पल को भी ठंडी नहीं होती। सूरह लुक़मान में इसका ज़िक्र है।
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इसमें वो लोग जाएंगे जिन्होंने shirk (अल्लाह के साथ किसी और को शरीक करना) किया।
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सईर एक जलती हुई, हर पल भड़कती आग है।
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सूरह लुक़मान में इसका ज़िक्र है।
5. Saqar सक़र ( पांचवा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
एक और भयानक दरजा “सक़र” है, जहां उन लोगों को रखा जाएगा जिन्होंने नमाज़ की परवाह नहीं की, मिस्कीनों को खाना नहीं खिलाया और आख़िरत को झुठलाया। सूरह मुद्दस्सिर में जब जहन्नमियों से पूछा गया कि उन्हें सक़र में किस वजह से डाला गया, तो उन्होंने यही जवाब दिया।
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यह उन लोगों के लिए है जिन्होंने नमाज़ नहीं पढ़ी, गरीबों को खाना नहीं खिलाया, और आख़िरत का इनकार किया।
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सूरह मुद्दस्सिर (74:42-47) में इसका बयान है।
6. Al-Jaheem अल-जहीम ( छठवा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
“अल-जहीम” उन मुशरिकों और बदतरीन मुजरिमों के लिए है जिन्होंने अल्लाह की खुली आयतों को इनकार किया और दीन का मज़ाक उड़ाया। इसकी आग गहराई में बहुत नीचे और जलन में बेहद सख़्त है।
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यह मुशरिक (बहुदेववादी) और बड़े मुजरिमों के लिए है।
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इसकी आग बहुत गहरी और सख़्त है।
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सूरह अल शुअरा में इसका तज़्किरा आता है।
7. Al-Hawiyah अल-हाविया ( सातवा दर्जा – 7 Levels of Jahannam Hindi )
जहन्नम का सबसे निचला और सख़्त तरीन दरजा है “अल-हाविया”। इसमें मुनाफ़िक़ लोग डाले जाएंगे, यानी वो जो जुबान से तो मुसलमान होने का दावा करते थे लेकिन दिल से ईमान नहीं लाए। अल-हाविया एक ऐसा गहरा गड्ढा है जिसमें गिरने वाला शख्स कभी बाहर नहीं निकल सकता। सूरह अल-क़ारिआह में इसका बयान है, जहां अल्लाह तआला फ़रमाता है कि मुनाफ़िक़ों का ठिकाना दोज़ख़ का सबसे निचला हिस्सा होगा।
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यह जहन्नम का सबसे निचला और भयानक दरजा है।
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इसमें मुनाफ़िक़ (मुनाफ़िक़ – दिखावे वाले मुसलमान) जाएंगे।
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यह गहरा गढ्ढा है जिसमें गिरने वाला कभी नहीं निकल पाएगा। (Surah Al-Qari’ah)
जहन्नम के ये सात दरजे इंसान को उसके आमाल के मुताबिक़ अज़ाब देने के लिए बनाए गए हैं। अल्लाह रहम करने वाला है, लेकिन इंसाफ़ भी करता है। इसलिए हमें अपने आमाल को सुधारना चाहिए, नमाज़ क़ायम करनी चाहिए और हर गुनाह से तौबा करनी चाहिए।
इन सातों दरजात का मक़सद इंसानों को डराना नहीं बल्कि उन्हें आगाह करना है, ताके वो अपने आमाल की इस्लाह करें और अल्लाह की राह को इख्तियार करें। यह भी यक़ीन रखना चाहिए कि अल्लाह रहम करने वाला है, और अगर हम सच्चे दिल से तौबा करें, तो वह माफ़ करने वाला है।
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जहन्नम की आग और रोज़े का रिश्ता Jahannam ki aag se bachne ka tareeka
अक्सर पूछे जाने वाले सवालात (FAQs) ( 7 Levels of Jahannam Hindi )
1. सवाल: क्या जहन्नम के सातों दरजात का ज़िक्र क़ुरआन में मिलता है?
जवाब – जी हाँ, जहन्नम के मुख़्तलिफ़ दरजात का ज़िक्र क़ुरआन की कई सूरह में तफ़सील के साथ मिलता है जैसे कि सूरह हमज़ा, सूरह लुक़मान, सूरह मुद्दस्सिर और सूरह अल-क़ारिआह। हदीसों में भी रसूलुल्लाह ﷺ ने इनके नाम और अज़ाब की सख़्ती का ज़िक्र किया है।
2. सवाल: क्या जहन्नम से निकलने का कोई रास्ता है?
जवाब – अगर कोई शख्स मोमिन है और उसने ईमान लाया लेकिन गुनाहों में मुब्तिला रहा, तो अल्लाह की रहमत से तौबा और सज़ा पूरी करने के बाद वह जहन्नम से निकाला जा सकता है। मगर जो लोग कुफ़्र, शिर्क और निफ़ाक़ के साथ मरे, उनके लिए जहन्नम हमेशा का ठिकाना है।
3. सवाल: सबसे भयानक दरजा कौन-सा है?
जवाब – अल-हाविया जहन्नम का सबसे गहरा और सख़्त दरजा है। यह मुनाफ़िक़ीन (दिखावे वाले मुसलमानों) के लिए मुक़र्रर किया गया है। क़ुरआन के मुताबिक़, यह एक ऐसा गड्ढा है जहां गिरने वाला हमेशा के लिए फंस जाता है।
4. सवाल: क्या नमाज़ छोड़ने वालों के लिए भी जहन्नम की सज़ा है?
जवाब – जी हाँ, क़ुरआन की सूरह मुद्दस्सिर (74:42-43) में साफ़ तौर पर बयान किया गया है कि जहन्नमी लोग जब से पूछा जाएगा कि वो सक़र (जहन्नम का दरजा) में क्यों हैं, तो उनका जवाब होगा: “हम नमाज़ नहीं पढ़ते थे।”
5. सवाल: हम जहन्नम से कैसे बच सकते हैं?
जवाब – जहन्नम से बचने का सबसे अहम तरीक़ा है – ईमान लाना, नमाज़ क़ायम करना, गुनाहों से बचना और सच्चे दिल से तौबा करना। अल्लाह तआला क़ुरआन में फ़रमाता है कि “मेरी रहमत मेरे ग़ज़ब पर ग़ालिब है।” (हदीस-ए-कुद्सी)
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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