हदीस की 6 किताबें कौन सी है ? ( The 6 authentic books of Hadith Hindi )
इस्लाम में हदीस (रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वस्सल्लम के अहकाम, अफ़आल और इकरारात) कुरआन करीम के बाद दूसरा सबसे अहम और मुक़द्दस ज़रिया है। सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हु और ताबेईन रहिमहुमुल्लाह ने अपनी ज़िंदगी इस बात के लिए वक़्फ़ कर दी कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वस्सल्लम के कलाम और सुन्नत को महफ़ूज़ किया जाए। बाद में मुहद्दिसीन ने सख़्त तहक़ीक़, सफ़र और इल्मी मेहनत से हदीस के मजमूआत तर्तीब दिए। इनमें से सबसे मशहूर कुतुब अल-सित्तह यानी “छह सहीह किताबें” हैं, जिनके इलावा भी कई अहम मजमूआत मौजूद हैं।
1. सहीह अल-बुख़ारी Sahih al Bukhari ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद इब्न इस्माईल अल-बुख़ारी (810–870 ई.)
इमाम बुख़ारी रहिमहुल्लाह ने 16 साल तक अरब, इराक़, ख़ुरासान, शामी इलाक़े और हिजाज़ का सफ़र किया। लाखों हदीस को सुना, रिवायतकारों (रावियों) की अदालत, ज़हनी क़ुव्वत और हिफ़्ज़ की ताक़त की जाँच की, फिर सिर्फ़ सहीह हदीस को चुना। सहीह बुख़ारी में तक़रीबन 7,275 अहादीस (तक़रार समेत) और बिना तक़रार के तक़रीबन 2,600 हैं। इसमें इमान, इल्म, सलात, सियाम, हज्ज, जिहाद, तिजारत, अख़लाक़ और क़यामत से मुताल्लिक अबवाब शामिल हैं। यह किताब हदीस की सहिह़त में सबसे आला दर्जा रखती है।
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मुसन्निफ़: इमाम मुहम्मद इब्न इस्माईल अल-बुख़ारी (810–870 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 7,275 (दोहराव सहित), बिना दोहराव के लगभग 2,600
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खाश बात : हदीस की प्रामाणिकता में सबसे ऊँचे दर्जे की किताब मानी जाती है।
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थीम / अबवाब : अकीदा, इबादत, इमान, इल्म, सलात, सियाम, हज्ज, जिहाद, तिजारत, अख़लाक़, क़यामत आदि।
2. सहीह मुस्लिम Sahih Muslim ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम मुस्लिम इब्न अल-हज्जाज अल-नैसाबूरी (817–875 ई.)
सहीह मुस्लिम को सहीह बुख़ारी के बाद दूसरा मुक़द्दस और सबसे ज़्यादा मुअतबर मजमूआ माना जाता है। इसमें तक़रीबन 4,000 हदीस (बग़ैर तक़रार) मौजूद हैं। इसकी ख़ास बात यह है कि एक ही मवज़ू से मुताल्लिक तमाम रिवायतें जमा कर दी गई हैं और हर रिवायत का इस्नाद व तफ़्सील बयान की गई है। इसमें इबादात, अक़ायिद, अहकाम, जिहाद, अदल-ओ-इंसाफ़ और अख़लाक़ियात से जुड़ी हदीस मौजूद हैं।
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मुसन्निफ़: इमाम मुस्लिम इब्न अल-हज्जाज (817–875 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 4,000 (बिना दोहराव)
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खाश बात: इस किताब में हदीस की सिलसिला (इस्नाद) और क्रम बहुत व्यवस्थित है।
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थीम / अबवाब: इबादत, सियासत, अख़लाक़ और शरीअत के नियम।
3. सुनन अबू दाऊद Sunan Abu Dawud ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम अबू दाऊद सुलेमान इब्न अल-अशअथ अस-सिजिस्तानी (817–889 ई.)
इस मजमूआ में तक़रीबन 4,800 हदीस हैं, जो ज़्यादातर फ़िक़्ही अहकाम से मुताल्लिक हैं। इसमें सलात, ज़कात, निकाह, तलाक़, तिजारत, हुदूद और दीगर शरीअती मसाइल की हदीस बयान हुई हैं। इमाम अबू दाऊद ने सहीह, हसन और ज़ईफ़ हदीस भी बयान कीं लेकिन उनका दर्जा साफ़ तौर पर बता दिया, ताकि फ़क़ीह व आलिम आसानी से इस्तिमाल कर सकें।
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मुसन्निफ़: इमाम अबू दाऊद सुलेमान इब्न अल-अशअथ (817–889 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 4,800
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खाश बात: मुख्यतः फ़िक़्ह (इस्लामी कानून) से संबंधित हदीसों पर आधारित।
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थीम / अबवाब: नमाज़, रोज़ा, ज़कात, निकाह, तलाक, व्यापार, जुर्म के कानून।
4. सुनन अत तिर्मिज़ी Sunan at Tirmidhi ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम अबू ईसा मुहम्मद इब्न ईसा अत-तिर्मिज़ी (824–892 ई.)
इस किताब में तक़रीबन 3,956 हदीस मौजूद हैं। इसकी सबसे अहम ख़ासियत यह है कि इमाम तिर्मिज़ी रहिमहुल्लाह ने हर हदीस के बाद उसका दर्जा (सहीह, हसन, ज़ईफ़) और उलेमा का इख़्तिलाफ़ भी बयान किया। यह किताब फ़िक़्ही मतों और इमामों की राय समझने के लिए बहुत क़ीमती है। इसमें इबादात, अक़ायिद, अख़लाक़ और मौअशरती ज़िंदगी से ताल्लुक़ रखने वाली हदीस शामिल हैं।
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मुसन्निफ़: इमाम मुहम्मद इब्न ईसा अत-तिर्मिज़ी (824–892 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 3,956
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खाश बात: हर हदीस के दर्जे (सहीह, हसन, ज़ईफ़) का उल्लेख किया।
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थीम / अबवाब: फ़िक़्ह, अकीदा, अख़लाक़, इबादत।
5. सुनन अन-नसाई Sunan an Nasai ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम अहमद इब्न शुऐब अन-नसाई (829–915 ई.)
इस मजमूआ में तक़रीबन 5,762 हदीस हैं। इमाम नसाई रहिमहुल्लाह हदीस की सहिह़त के मामले में बेहद सख़्त थे, इसी वजह से इसमें ज़्यादातर हदीस सहीह दर्जे की हैं। इस किताब में सलात, ज़कात, सियाम, हज्ज, निकाह, तलाक़, तिजारत और दीगर शरीअती मसाइल की तफ़्सील मौजूद है।
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मुसन्निफ़: इमाम अहमद इब्न शुऐब अन-नसाई (829–915 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 5,762
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खाश बात: बयान की गई हदीसों की प्रामाणिकता का सख़्त मानक।
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थीम / अबवाब: फ़िक़्ह, इबादत, निकाह, तलाक, हज्ज, व्यापार।
6. सुनन इब्न माजा Sunan Ibn Majah ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
मुसन्निफ़: इमाम मुहम्मद इब्न यज़ीद इब्न माजा अल-क़ज़विनी (824–887 ई.)
इसमें तक़रीबन 4,341 हदीस हैं, जिनमें कुछ ऐसे मवज़ूआत भी शामिल हैं जो बाक़ी पाँच सहीह किताबों में नहीं मिलते। हालांकि इसमें कुछ ज़ईफ़ हदीस भी पाई जाती हैं, लेकिन फ़ायदा यह है कि यह कई मसाइल पर नई रौशनी डालती है। इसमें अक़ायिद, फ़िक़्ह, अख़लाक़ और मौअशरती मसाइल का बयान है।
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मुसन्निफ़: इमाम मुहम्मद इब्न यज़ीद इब्न माजा अल-क़ज़विनी (824–887 ई.)
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हदीसों की संख्या: लगभग 4,341
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खाश बात: कुछ ऐसे विषयों पर हदीसें जो अन्य संग्रहों में नहीं मिलतीं।
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थीम / अबवाब: फ़िक़्ह, अकीदा, अख़लाक़, इबादत, सामाजिक मसले।
दीगर अहम मजमूआत ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
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मुवत्ता इमाम मालिक – इमाम मालिक इब्न अनस (711–795 ई.) का यह मजमूआ शुरुआती दौर का है जिसमें मदीना मुनव्वरा के अमल और सुन्नत पर 1,720 हदीस दर्ज हैं।
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मुस्नद अहमद इब्न हम्बल – इमाम अहमद इब्न हम्बल (780–855 ई.) का यह मजमूआ तक़रीबन 30,000 हदीस पर मुश्तमिल है, जिसे सहाबा के नामों के हिसाब से तर्तीब दिया गया है।
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सुनन दरिमी – इमाम अबू मुहम्मद अब्दुल्लाह इब्न अब्दुर्रहमान अद-दारीमी का मजमूआ 3,500 से ज़्यादा हदीस पर मुश्तमिल है, जिसमें अक़ीदा, इल्म और अदब का बयान है।
आम पूछे जाने वाले सवाल FAQ ( 6 authentic books of Hadith Hindi )
Q1. कुतुब अल-सित्तह से मुराद क्या है?
A. कुतुब अल-सित्तह से मुराद हदीस की छह सबसे मुअतबर किताबें हैं — सहीह बुख़ारी, सहीह मुस्लिम, सुनन अबू दाऊद, सुनन अत-तिर्मिज़ी, सुनन अन-नसाई और सुनन इब्न माजा।
Q2. सबसे ज़्यादा सहीह किताब कौन-सी है?
A. सहीह अल-बुख़ारी को सहिह़त में सबसे आला माना जाता है, इसके बाद सहीह मुस्लिम का दर्जा है।
Q3. क्या इन मजमूआत में सिर्फ सहीह हदीस हैं?
A. नहीं, कुछ मजमूआत में हसन और ज़ईफ़ हदीस भी हैं, लेकिन मुसन्निफ़ ने उनका दर्जा वाज़ेह कर दिया है।
Q4. हदीस की तस्दीक़ कैसे की जाती थी?
A. रावियों की अदालत, ज़हनी क़ुव्वत, हिफ़्ज़ की ताक़त और इस्नाद की सिलसिला की सख़्ती से जांच की जाती थी।
Q5. क्या हदीस कुरआन के बराबर है?
A. नहीं, कुरआन अल्लाह तआला का कलाम है जबकि हदीस रसूलुल्लाह ﷺ की सुन्नत और बयानात का रिकॉर्ड है। मगर शरीअत में कुरआन के बाद हदीस का ही दूसरा दर्जा है।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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