क़यामत की 10 बड़ी निशानियाँ ( qayamat ki 10 badi nishaniyan – Authentic Details )

क़यामत की 10 बड़ी निशानियाँ ( qayamat ki 10 badi nishaniyan – Authentic Details )

qayamat ki 10 badi nishaniyan

 

 

 

 

 

 

हज़रत हूज़ैफ़ा बिन उसैद अल-ग़िफ़ारी रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं:

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया: “क़यामत तब तक क़ायम नहीं होगी जब तक तुम उससे पहले दस अलामात न देख लो।”
(सह़ीह मुस्लिम, हदीस 2901)

ये दस बड़ी निशानियाँ हैं –

1. दज्जाल का ख़ुरूज ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

दज्जाल एक इंसान होगा जो क़यामत से पहले निकलेगा और अपने आप को इलाही दावा करेगा। उसके पास अजीब-ओ-ग़रीब करामात (miracles) होंगी जैसे आसमान से बारिश बरसाना, ज़मीन से फ़सलें उगाना, और मुर्दों को ज़िन्दा करना – लेकिन ये सब फ़ितना और धोखा होगा। उसके एक आँख अंधी होगी और उसके माथे पर “काफ़िर” (ك ف ر) लिखा होगा जिसे सिर्फ़ मोमिन देख पाएंगे। वह दुनिया भर में फ़साद और गुमराही फैलाएगा, सिवाय मक्का और मदीना के, जहाँ फ़रिश्ते उसकी रुकावट बनेंगे। नबी ईसा अलैहिस्सलाम उसके फ़ितना का अंत करेंगे।

  1. एक झूठा मसीहा जो ख़ुद को इलाही दावा करेगा और अजीब-ओ-ग़रीब करामात दिखाकर लोगों को गुमराह करेगा।
  2. उसका ख़ात्मा नबी ईसा अलैहिस्सलाम के हाथों होगा।

2. नबी ईसा अलैहिस्सलाम का नुज़ूल ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

  • नबी ईसा अलैहिस्सलाम आसमान से उतरेंगे, जैसा कि क़ुरआन और हदीस में वाज़ेह है। वे शामी इलाक़े के दमिश्क शहर में उतरेंगे, उस वक़्त मुसलमान दज्जाल से लड़ रहे होंगे। नबी ईसा अलैहिस्सलाम मस्जिद के दरवाज़े पर नमाज़ के वक़्त आएंगे और इमाम महदी के पीछे नमाज़ पढ़ेंगे, ताकि उम्मत को दिखा दें कि वे नए नबी नहीं बल्कि आख़िरी नबी रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम की उम्मत में शामिल हैं। वे दज्जाल को लोध के दरवाज़े (Ludd Gate) पर क़त्ल करेंगे और दुनिया में अमन व इंसाफ़ कायम करेंगे।
  1. आसमान से वापस नाज़िल होंगे, क्रॉस तोड़ेंगे, सूअर को हलाक करेंगे और दज्जाल को क़त्ल करेंगे।
  2. इंसाफ़ के साथ हुकूमत करेंगे।

3. याजूज और माजूज ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

ये दो बड़ी क़ौमें हैं जिनका ज़िक्र सूरह अल-कहफ़ और सूरह अंबिया में आया है। इन्हें ज़ुल-क़रनैन अलैहिस्सलाम ने एक मज़बूत लोहे और तांबे की दीवार के पीछे बंद कर दिया था। क़यामत से क़रीब, ये दीवार टूट जाएगी और ये लोग पूरी दुनिया में फैलकर तबाही मचाएंगे। उनकी तादाद इतनी ज़्यादा होगी कि वे झीलों और नदियों का पानी पीकर ख़त्म कर देंगे। अल्लाह उनकी हलाक़त के लिए ख़ास कीड़े भेजेगा जो उनके गले में लग जाएंगे और वे मर जाएंगे।

  1. दो फ़सादी क़ौमें जो इस वक़्त एक मज़बूत दीवार के पीछे बंद हैं।
  2. वे निकलकर दुनिया में तबाही मचा देंगे, फिर अल्लाह उन्हें हलाक कर देगा।

4. तीन बड़े ज़लज़ले ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

हदीस के मुताबिक़, तीन जगहों पर बहुत बड़े भूकंप और ज़मीन धंसने की वारदात होगी:

  • मशरिक़ (East) – सम्भवतः एशिया या उसके आसपास का इलाक़ा

  • मग़रिब (West) – सम्भवतः यूरोप या अमेरिका के इलाक़े

  • जज़ीरा-ए-अरब (Arabian Peninsula) – अरब के केंद्र में

ये ज़लज़ले इतने बड़े होंगे कि लाखों लोग हलाक़ हो जाएंगे और इलाक़े तबाह हो जाएंगे।

5. दुख़ान ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

क़ुरआन की सूरह अद-दुख़ान में ज़िक्र है कि एक वक़्त आएगा जब एक गाढ़ा धुआँ पूरी दुनिया को ढक लेगा। मोमिनों पर इसका असर हल्का होगा, बस सर्दी-जुकाम जैसा, लेकिन काफ़िरों पर यह अज़ाब की तरह होगा, जिससे उनकी सांस लेना मुश्किल हो जाएगा और आंखें जलने लगेंगी। ये दुख़ान कई दिनों तक रहेगा।

6. दाब्बतुल-अरज़ ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

एक अजीब और बड़ी मख़लूक़ (creature) ज़मीन से निकलेगी। इसका ज़िक्र सूरह अन-नम्ल में भी है। ये मख़लूक़ लोगों से कलाम करेगी और उन्हें उनके ईमान और कुफ़्र के बारे में बताएगी। ये मोमिनों के चेहरे को चमकदार निशान से और काफ़िरों के चेहरे को काले निशान से पहचान देगी। इसके बाद इंसानों के लिए ईमान बदलना मुमकिन नहीं होगा।

7. सूरज का मग़रिब से निकलना ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

एक वक़्त आएगा जब सूरज अपने माशरिक़ (East) की जगह मग़रिब (West) से निकलना शुरू करेगा। यह अल्लाह की क़ुदरत का एक बड़ा निशान होगा और हक़ को बिल्कुल वाज़ेह कर देगा। उस दिन के बाद तौबा और ईमान का दरवाज़ा बंद हो जाएगा, क्योंकि फिर ईमान मजबूरी से होगा, न कि दिल की सच्चाई से।

8. आग का यमन से निकलना ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

यमन के इलाके से एक बहुत बड़ी आग उठेगी, जो इंसानों को एक दिशा में भगाएगी — यानी मैदान-ए-हश्र की तरफ़। लोग डर के मारे उस आग से बचने के लिए भागेंगे, और यह आग धीरे-धीरे सबको जमा कर देगी।

सह़ीह मुस्लिम, किताब अल-फ़ितन, हदीस 2901

रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया –  “क़यामत तब तक क़ायम नहीं होगी जब तक तुम दस अलामात न देख लो: दुख़ान, दज्जाल, दाब्बा, सूरज का मग़रिब से निकलना, ईसा इब्न मरयम का नुज़ूल, याजूज-माजूज, तीन ज़मीन धंसना — मशरिक़ में, मग़रिब में, और जज़ीरा-ए-अरब में — और आख़िर में यमन से आग का निकलना जो लोगों को मैदान-ए-हश्र की तरफ़ हाँकेगी।”

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल FAQ ( qayamat ki 10 badi nishaniyan )

Q1. क्या ये 10 अलामात क़ुरआन में भी ज़िक्र हुए हैं?
कुछ अलामात जैसे दुख़ान, याजूज-माजूज और सूरज का उल्टा निकलना क़ुरआन में इशारे के तौर पर मौजूद हैं, बाक़ी का तफ़्सील हदीस में है।

Q2. क्या ये अलामात एक साथ होंगी या अलग-अलग?
हदीस के मुताबिक़, ये अलामात एक के बाद एक तेज़ी से वाक़े होंगी, लगभग चेन रिएक्शन की तरह।

Q3. क्या दज्जाल इंसानों जैसा होगा?
जी हाँ, दज्जाल एक इंसान होगा लेकिन अल्लाह ने उसकी फ़ितना को बहुत बड़ा बनाया है।

Q4.नबी ईसा अलैहिस्सलाम के नुज़ूल के बाद क्या होगा?
वे इंसाफ़ के साथ हुकूमत करेंगे, दज्जाल को मारेंगे और याजूज-माजूज से मुकाबला करेंगे।

Q5. सूरज के मग़रिब से निकलने के बाद तौबा क्यों क़बूल नहीं होगी?
क्योंकि यह एक ऐसी निशानी है जो हक़ को बिल्कुल वाज़ेह कर देगी, फिर इमान लाना मजबूरी होगा, न कि ईख़लास से।

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जज़ाकल्लाह खैर।

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