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रमी अल जमरात कैसे अदा करते है ( How to Perform Rami al Jamarat Hindi )

रमी अल जमरात कैसे अदा करते है ( How to Perform Rami al Jamarat Hindi )

हज के दौरान मीना शहर में मौजूद जमारात के 3 खम्बो में शैतान को 7 कंकर मारने की रस्म को रमी कहते है। रमी अल जमरात हज के वक़्त पूरी की जाने वाली सुन्नत है जो सुन्नत ए इब्राहिम अलैहिस्सलाम है ।

 

 

 

 

 

रमी अल जमरात का दिन ( Days of  Rami al Jamarat Hindi ) 

हज़रते जाबिर इब्न अब्दुल्लाह रदिअल्लाहु ताला अन्हु से रिवायत है – रसूलुल्लाह सल्लाहो अलय्हि वसल्लम ने जमारात में सूरज उगने के बाद यौम ए नहर और उसके बाद  ज़ुल हज्जाह की 11, 12, 13 तारीख को जब सूरज डूब चूका था , कंकर मारे थे।

यौम ए नहर के दिन जमारह अल अकाबा याने बड़े खम्बे में कंकर मारे जाते है ।  याने हज के तीसरे या ज़ुल हज्जाह की 10 तारीख को। बाकि 2 खम्बो में इस दिन कंकर नहीं मारे जाते है।

यौम ए तशरीक़ ज़ुल हज्जाह की 11, 12, 13 तारीख याने हज के 4,5 और 6 वे दिन तीनो खम्बो में कंकर मारे जाते है।

कंकर मारने का वक़्त ( Timing of  Rami al Jamarat Hindi ) 

शैतान को कंकर मारने की रस्म तय वक़्त में पूरी करना जरुरी है वरना जरुरी जुर्माना भी लगाया जा सकता है । हाजियो की बढ़ती हुए तादात की वजह से रमी को शाम के वक़्त पूरा करने की सलाह दी जाती है ताकि दिन भर हाजियो की भीड़ को सही से संभाला जा सके।

यौम अल नहर के दिन कंकर मारने की रस्म ज़ुल हज्जाह की 10 तारीख को फज़र की नमाज़ के बाद से 11 तारीख की फज़र के नमाज़ के वक़्त तक अदा किया जा सकता है । हालांकि इस दिन कुछ खास वक़्त कंकर मारने की रस्म पूरा करने की अलग फ़ज़ीलत है । जैसे –

  1. फज़र के वक़्त से पहले – कंकर मारना मना है।
  2. फज़र के वक़्त से सूरज के उगने तक – मर्दो के लिए मकरूह है , खातूनों और बुजुर्गो के लिए कोई मनाही नहीं।
  3. सूरज उगने से जोहर की नमाज़ के 10 मिनट पहले तक – इस वक़्त रमी की रस्म पूरा करना सुन्नत है ।
  4. जोहर के वक़्त से सूरज डूबने तक – कोई मनाही नहीं ।
  5. शाम से अगली फज़र की नमाज़ तक – मर्दो के लिए मकरूह है , खातूनों और बुजुर्गो के लिए कोई मनाही नहीं।

नोट – जो मर्द किसी खातून के महरम है जो उस वक़्त रमी की रस्म पूरी करती है, उन मर्दो के लिए उस वक़्त रस्म पूरा करना मकरूह नहीं होता है।

अय्याम अल तशरीक़ के दिन , कंकर मारने की रस्म जव्वाल ( दोपहर ) से फज़र के पहले तक पूरी की जा सकती है । हालांकि इस दिन कुछ खास वक़्त कंकर मारने की रस्म पूरा करने की अलग फ़ज़ीलत है । जैसे –

  1. जव्वाल ( दोपहर ) से पहले –  कंकर मारना मना है।
  2. जोहर की नमाज़ के वक़्त से सूरज डूबने तक – इस वक़्त रमी की रस्म पूरा करना सुन्नत है ।
  3. सूरज डूबने के बाद से फज़र के वक़्त तक – मर्दो के लिए मकरूह है , खातूनों और बुजुर्गो के लिए कोई मनाही नहीं।

नोट – जो मर्द किसी खातून के महरम है जो उस वक़्त रमी की रस्म पूरी करती है, उन मर्दो के लिए उस वक़्त रस्म पूरा करना मकरूह नहीं होता है।

रमी अल जमरात कैसे अदा करते है ( How to Perform Rami al Jamarat Hindi )

कंकर मारने की रस्म को पूरा करने का सुन्नत तरीका –

  1. बावजू होना
  2. जमरात में मौजूद खम्बो से तकरीबन 15 फ़ीट ( 5 मीटर ) खड़े होना
  3. 7 या उससे ज्यादा कंकर अपने उलटे हाथ में जमा करना
  4. कंकर को अंगूठे और शहादत की ऊँगली से पकड़कर अपने हाथ को जितना हो सके ऊपर उठाना
  5. तकबीर बुलंद करते हुए ( अल्लाह हु अकबर ) कंकर को फेकना
  6. जैसे ही पहला कंकर फेक दे और वह खम्बे तक पहुँच जाए , तलबिया पढ़ना बंद कर दें
  7. इसी तरह से बाकी के कंकर फेके, कुल 7 कंकर जमारात में मौजूद खम्बे में
  8. कंकर मारने के बाद क़िब्ला की तरफ रुख करके दुआ करे

हज के दौरान शैतान को 7 कंकर मारने की रिवायत को तफ्सील से पढ़ने के लिए ये पोस्ट भी पढ़े ।  https://islamicknowledgehindi.com/stoning-of-satan-during-hajj-hindi/

जज़ाकल्लाह खैर।

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