इस्लाम में रिसालत क्या है? ( Risalat in Islam Hindi )
इस्लाम एक मुकम्मल दीन है, जो सिर्फ अल्लाह की इबादत और इंसानी ज़िन्दगी को दुरुस्त करने के लिए नाज़िल किया गया है। इस दीन की बुनियाद तीन अहम अक़ायद पर रखी गई है –
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तौहीद – अल्लाह सुब्हानवताला की वाहिदानियत ( एक रब पर यकीन )
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रिसालत – अल्लाह सुब्हानवताला के नबी और रसूलों पर ईमान
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आख़िरत – मरने के बाद की ज़िन्दगी और हिसाब-किताब पर यकीन
रिसालत (Prophethood) इस्लामी अक़ीदे का दूसरा सबसे अहम अक़ीदा है।
रिसालत का मतलब क्या है? ( Risalat in Islam Hindi )
रिसालत का लफ़्ज़ अरबी ज़बान से लिया गया है – “रसाला (رسالة)” का मतलब होता है पैग़ाम या संदेश, और “रसूल” का मतलब है पैग़ाम लाने वाला। इस्लामी इस्तिलाह में रिसालत से मुराद है –
“अल्लाह तआला ने इंसानों की हिदायत के लिए अपने मुंतख़ब (चुने हुए) बंदों को नबी और रसूल बना कर भेजा, जो अल्लाह का पैग़ाम इंसानों तक पहुंचाते हैं।”
नबी और रसूल में क्या फर्क है? ( Risalat in Islam Hindi )
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नबी : वो अज़ीम हस्ती जिसे अल्लाह सुब्हानवताला वही अता करते है, लेकिन शरीअत (क़ानून) नहीं दी जाती।
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रसूल : वो नबी जिन्हे नई किताब और शरीअत के साथ भेजा जाता है, ताकि वह क़ौमों की इस्लाह करे।
हर रसूल नबी होता है, लेकिन हर नबी रसूल नहीं होता।
रिसालत की ज़रूरत क्यों पड़ी? ( Risalat in Islam Hindi )
इंसान जब अल्लाह सुब्हानवताला की इबादत और उसकी बंदगी से दूर हुआ, तो ज़रूरत हुई ऐसे रहबरों की जो अल्लाह सुब्हानवताला का पैग़ाम दोबारा इंसानों तक पहुंचाएं। यही काम अंजाम दिया रसूलों और अम्बियाओं ने।
रसूलों का मक़सद ( Risalat in Islam Hindi )
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अल्लाह की तौहीद को बयान करना
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लोगों को गुमराही से निकाल कर हिदायत की राह दिखाना
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जन्नत की खुशखबरी और दोज़ख़ से खबरदार करना
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शरीअत और अख़लाक़ की तालीम देना
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अपने अमल से क़ौम के लिए मिशाल बनना
कुरआन में रसूलों का ज़िक्र ( Risalat in Islam Hindi )
क़ुरआन में तक़रीबन 25 नबियों और रसूलों का तज़किरा मौजूद है। इनमें से चंद अहम नाम –
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नबी आदम अलैहिस्सलाम – पहले इंसान और पहले नबी
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हज़रत नूह अलैहिस्सलाम– पहली उम्मत के रसूल
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हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम – ख़लीलुल्लाह (अल्लाह सुब्हानवताला के दोस्त)
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हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम – बनी इसराईल की तरफ़ भेजे गए रसूल
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हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम – जिन पर इंजील नाज़िल हुई
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सरदार ए अम्बिया मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलय्हि वसल्लम – आख़िरी रसूल, जिन पर क़ुरआन नाज़िल हुआ और रिसालत मुकम्मल हुई
क्या रिसालत पर ईमान लाना लाज़मी है? ( Risalat in Islam Hindi )
रिसालत पर ईमान लाना हर मुसलमान के लिए फर्ज़ है। जो शख़्स किसी एक भी नबी या रसूल का इंकार करे, वो इस्लामी दायरे से बाहर हो जाता है।
क़ुरआन में अल्लाह सुभानवताला ने फ़रमाया –
“हम अल्लाह के किसी भी रसूल में कोई फर्क नहीं करते।”
(सूरह अल-बक़रह, आयत 285)
आख़िरी रसूल – मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलय्हि वसल्लम ( Risalat in Islam Hindi )
नबियों के सरदार और इमामुल अम्बिया मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहो अलय्हि वसल्लम को ख़ातिमुन्नबीयीन कहा गया, यानी आप पर नुबूवत का सिलसिला खत्म हो गया। अब कोई नया नबी या रसूल नहीं आएगा। आप पर नाज़िल क़ुरआन और सुन्नत क़यामत तक के लिए इंसानियत के लिए रहनुमा है। सुभानअल्लाह ।
रिसालत, इस्लामी अक़ीदे की बुनियाद है। अल्लाह सुब्हानवताला ने इंसानों की भलाई और हिदायत के लिए हर दौर में रसूल भेजे। जिनका काम सिर्फ अल्लाह सुब्हानवताला का पैग़ाम पहुंचाना था — उन्हें मानना, उनसे मोहब्बत करना और उनके बताए हुए रास्ते पर चलना हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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