नबूवत ए रसूल में बनी पहली मस्जिद Masjid E Quba ( the first mosque masjid e quba ) Islam ki pehli masjid ( 1st mosque)

मस्जिद ए कूबा ( the first mosque masjid e quba ) 

ऐलान ए नबूवत के बाद, हिजरत के सफर में जिस मस्जिद की नीव डाली गयी , उसका नाम मस्जिद ए कूबा है।

मस्जिद अल हरम और मस्जिद अल अक़्सा , दुनिया में मौजूद सबसे पहली मस्जिदें है। रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम की नबूवत में बनी, मदीना के करीब में मौजूद मस्जिद ए कूबा, दीन ए इस्लाम की पहली और सबसे पुरानी मस्जिद है।

the first mosque masjid e quba

 

 

 

 

 

 

 

कूबा मस्जिद की तामीर क्यूँ की गयी ? ( Quba masjid kyun tameer ki gyi )

मक्का से मदीना हिजरत के सफर में, मदीना पहुंचने से पहले रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम हज़रत अबू बक्र रदियल्लाहुताला अन्हु के साथ कूबा पहुंचे। और 14 दिन वही रहे। रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने मस्जिद ए कूबा की नीव रखी, जहां आप ने क़स्र की नमाज़े अदा की और कूबा में तब तक रहे जब तक हज़रत अली रदियल्लाहुताला अन्हु , मक्का से आप तक पहुंच न गए । हज़रत अली, मक्का में ही रुक गए थे और बाद में हिजरत के सफर में शामिल हुए थे ।

मस्जिद ए कूबा की तामीर ( Masjid E Quba ki tameer ) 

मदीना से 3 किलोमीटर दूर , कूबा शहर मौजूद है । हिजरी 1 याने 622 CE ( 1 AH ) में रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने मस्जिद ए कूबा की नीव रखी थी और सहाबा ए रसूल ने इसकी तामीर पूरी की। आज मस्जिद ए कूबा में 20,000 नमाज़ी एक साथ इबादत कर सकते है, जिसमे 4 मीनारें और 56 गुम्बद है।

मस्जिद ए कूबा में इबादत का सवाब ( Masjid E Quba me ibadat ka sawab ) 

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने फ़रमाया – ” जो सख्स घर से पाक होकर, मस्जिद ए कूबा आये और नमाज़ अदा करे। उसे एक उमराह के बराबर सवाब मिलेगा। ” 

हज़रत उमर बिन खत्ताब रदियल्लाहुताला अन्हु से रिवायत है – ” रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम कभी चलकर, और कभी सवारी से मस्जिद ए कूबा आया करते और 2 रकत नमाज़ अदा करते। ”

मदीना से कूबा तक का सफर ( Madina se Quba tak ka safar ) the Path of the Prophet

मदीना में मौजूद , मशहूर रास्ता जहां सहाबियों ने रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम को अक्सर पैदल सफर करते देखा। मस्जिद ए नबवी से मस्जिद ए कूबा तक तकरीबन 4.5 किलोमीटर रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम अक्सर पैदल या कभी सवारी पर जाया करते थे। आज भी मोमिन बदस्तूर पैदल उसी रास्ते में कूबा तक सफर करते है। जिसे कूबा वॉक ( Quba walk ) कहा जाता है ।

क़ुरान में मस्जिद ए कूबा  ( Masjid E quba in Quran ) 

अल्लाह सुभानवताला ने मुक़द्दस क़ुरान ए पाक में मस्जिद ए कूबा की तारीफ की और इसका इल्म सूरह अल तौबह की आयात 28 Surah At-Tawbah 9:108  में अता किया ।

जज़ाकल्लाह खैर ।

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