फ़लस्तीनी मसले पर अमन का नया रास्ता (UN General Assembly Palestine Resolution 2025 Hindi- UN Adopts Powerful Resolution)

फ़लस्तीनी मसले पर अमन का नया रास्ता (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

UN General Assembly Palestine Resolution 2025

12 सितम्बर 2025 को United Nations General Assembly (UNGA) ने एक अहम क़रारदाद (Resolution) पास की, जिसका उनवान था – 
“New York Declaration on the Peaceful Settlement of the Question of Palestine and the Implementation of the Two-State Solution.”

इस क़रारदाद के हक़ में 142 मुल्कों ने वोट दिया, ख़िलाफ़ 10 मुल्कों ने, और 12 ने परहेज़ (Abstain) किया

इसका बुनियादी मक़सद है कि दो-रियासती हल (Two-State Solution) को अमली शक्ल दी जाए और फ़लस्तीनियों को उनका जायज़ हक़ और आज़ाद मुल्क हासिल हो सके।

दो-रियासती हल (Two-State Solution) की अहमियत (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

इस तजवीज़ के मुताबिक़, इज़राइल और फ़लस्तीन — दोनों अलग और मुकम्मल रियासतें होंगी, जहाँ –

  • फ़लस्तीनियों को आज़ाद रियासत मिले, जिसमें West Bank, Gaza और East Jerusalem शामिल हो।

  • दोनों रियासतें बाहमी एहतराम और अमन के साथ साथ रहें।

मुस्लिम उम्मत के लिए ये ख़बर ख़ास अहम् है, क्योंकि यह क़दम बैतुल-मक़्दिस (Jerusalem) और अल-अक़्सा मस्जिद के मुस्तक़बिल से भी जुड़ा हुआ है।

New York Declaration के अहम नुक्तात (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

  1. जंग का ख़ात्मा: Gaza में जारी जंग को फ़ौरन रोकने और बेगुनाह इंसानों की हिफ़ाज़त पर ज़ोर।

  2. हमास पर जिक्र: हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले की मज़म्मत की गई, और उनसे मुतालिबा किया गया कि वो हुकूमत से हटकर हथियार छोड़ दें।

  3. सुरक्षा और नज़्म: फ़लस्तीनी अथॉरिटी को Gaza की ज़िम्मेदारी सँभालने की तजवीज़।

  4. अंतरराष्ट्रीय निगरानी: UN या दीगर इदारों की मदद से अमन कायम करने की कोशिश।

  5. टाइम-फ्रेम: ऐलान में कहा गया कि ये क़दम वक़्त-बद्ध और अपरिवर्तनीय होने चाहिए, ताकि पीछे हटने का रास्ता न बचे।

क़ुरआन और हदीस से रहनुमाई (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

क़ुरआन में अमन की अहमियत –

“और अगर वह सुलह की तरफ़ झुकें तो तुम भी उसकी तरफ़ झुक जाओ और अल्लाह पर भरोसा रखो।”
(सूरह अल-अन्फ़ाल 8:61)

यह आयत बताती है कि जब दुश्मन अमन की तरफ़ रुझान दिखाए, तो मुसलमानों को भी अमन को तर्ज़ीह देनी चाहिए।

ज़ालिम के खिलाफ़ आवाज़ – 

“और उन लोगों की मदद करो जिन पर ज़ुल्म किया जा रहा है।”
(सूरह अश-शूरा 42:39)

यह आयत साफ़ बताती है कि फ़लस्तीन जैसे मामलों में, ज़ालिम को रोकना और मज़लूम का साथ देना उम्मत की ज़िम्मेदारी है।

 हदीस –
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलय्हि वसल्लम  ने फ़रमाया –
“मुसलमान एक जिस्म की तरह हैं। अगर जिस्म का एक हिस्सा दुखता है, तो पूरा जिस्म तकलीफ़ महसूस करता है।”
(सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम)

इस हदीस से वाज़ेह है कि फ़लस्तीनी भाई-बहनों की तकलीफ़ पूरी उम्मत की तकलीफ़ है।

वोटिंग का नतीजा (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

  • 142 हक़ में: जुमला मुसलमान मुल्क, एशिया-अफ़्रीका के ज़्यादातर, और यूरोप के कई मुल्क शामिल।

  • 10 ख़िलाफ़: इनमें अमेरिका और इज़राइल सबसे अहम।

  • 12 परहेज़: कुछ यूरोपी और एशियाई मुल्क, जिन्होंने मुतवस्सित रवैया अपनाया।

UN General Assembly Palestine Resolution 2025

मुख़्तलिफ़ रद्द-ए-अमल (Reactions) (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

  • फ़लस्तीन: पैलेस्टिनी लीडरशिप ने इसको “तारीख़ी कामयाबी” करार दिया और कहा कि ये फ़लस्तीन की आज़ादी की जानिब पहला बड़ा कदम है।

  • इज़राइल: इसको “सियासी ड्रामा” और “ग़लत वक़्त पर पास किया गया ऐलान” बताया।

  • अमेरिका: अमरीकी नुमाइंदों ने कहा कि इससे अस्ल बातचीत का अमली अमन प्रोसेस मुतास्सिर हो सकता है।

  • इस्लामी उम्मत: बहुत से मुस्लिम मुल्कों ने इसका खैर-मक़दम किया और कहा कि इस से अल-क़ुद्स की हिफ़ाज़त और मुसलमानों की इज्ज़त मज़बूत होगी।

मुमकिन असरात और चुनौतियाँ (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

  1. ग़ैर-बाध्यकारी (Non-binding): ये ऐलान कानूनी तौर पर लाज़िमी नहीं, लेकिन सियासी और अख़लाक़ी दबाव ज़रूर बढ़ाता है।

  2. ग़ज़ा की सूरत-ए-हाल: जंग, इंसानी तबाही, शरणार्थी मसाइल और तामीर-ए-नौ (Reconstruction) सबसे बड़ा चैलेंज है।

  3. इज़राइल की ज़िद: इज़राइल की हुकूमत का बयान है कि वो कभी फ़लस्तीन की रियासत को तस्लीम नहीं करेगी।

  4. उम्मत की ज़िम्मेदारी: मुस्लिम मुल्कों और आलमी बिरादरी को मुत्तहिद होकर फ़लस्तीन की मदद करनी होगी — सियासी, मालियाती और इंसानी मदद के साथ।

भारत और इलाक़ाई मुल्कों की पोज़िशन (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

भारत ने हमेशा “दो-रियासती हल” की हिमायत की है और इस वक़्त भी अमन और मुज़ाकरात के ज़रिये हल पर ज़ोर दिया।
मिस्र, तुर्की, क़तर, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे मुल्क इस मसले पर सबसे ज़्यादा सक्रीय हैं।

5 आम सवाल (FAQ) (UN General Assembly Palestine Resolution 2025)

1. क्या यह क़रारदाद (Resolution) कानूनी तौर पर लाज़िमी है?
नहीं, यह ग़ैर-बाध्यकारी (Non-binding) है, लेकिन सियासी दबाव बहुत ज़्यादा बढ़ाता है।

2. Two-State Solution से फ़लस्तीनियों को क्या मिलेगा?
एक मुकम्मल और आज़ाद फ़लस्तीनी मुल्क, जिसमें East Jerusalem, Gaza और West Bank शामिल होंगे।

3. क्या इस ऐलान से जंग रुक जाएगी?
फ़ौरन नहीं, लेकिन इसका मक़सद है कि मुसलसल दबाव डालकर इज़राइल को अमन की तरफ़ लाया जाए।

4. मुस्लिम उम्मत के लिए इसका क्या मतलब है?
ये एक उम्मीद और इत्तेहाद का पैग़ाम है कि दुनिया अब फ़लस्तीनी हक़ को तस्लीम कर रही है।

5. इज़राइल और अमरीका क्यों ख़िलाफ़ हैं?
क्योंकि वो समझते हैं कि ये उनकी सियासी और फ़ौजी पॉलिसी के ख़िलाफ़ जाएगा।

जज़ाकल्लाह खैर।

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