क्यूँ और कब “खाना ए काबा” की डिज़ाइन को बदला गया ( Different Design of Kaaba during times in Hindi )

क्यूँ और कब खाना ए काबा की डिज़ाइन को बदला गया ? ( Different Design of Kaaba during times in Hindi )

Different Design of Kaaba

 

 

 

 

 

 

 

5000 साल पहले तामीर किया गया खाना ए काबा , आज वैसा नहीं है जैसे नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम और नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम ने तामीर किया था। तारीख में इसे कई दफा बदला गया।

काबा की पहली तामीर ( First Construction of Kaaba in hindi )

अल्लाह सुभानवताला का दुनिया में मौजूद पहला घर, खाना ए काबा – नबी आदम अलैहिस्सलाम के वक़्त से मौजूद है। जिसके निशाँ नबी नूह अलैहिस्सलाम के वक़्त आये ज़लज़ले की वजह से छुप गए थे। जब नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम की आमद हुई तो अल्लाह सुभानवताला ने आपको काबा का इल्म दिया और फिर से तामीर करने का हुकुम हुआ। जिसे इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे नबी इस्माइल अलैहिस्सलाम के साथ मिलकर तामीर किया।

नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम के वक़्त काबा (Design of Kaaba build by Ibrahim AS in hindi )

नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम के वक़्त खाना ए काबा , ज़मीन से लगा हुआ था। आयताकार , 4 दीवारों से घिरे हुई काबा की मसरिक मगरिब की तरफ दीवारों में , आने और जाने के लिए अलग अलग रास्ता खुला हुआ था। कोई दरवाजा या छत नहीं थी। लोग इबादत के लिए खाना ए काबा में आते और दूसरी तरफ से बाहर जाते थे।

 

 

 

 

 

 

 

 

क्यूँ काबा की तामीर की जरुरत पड़ी ( Why Quraysh planned to renovate Kaaba in hindi )

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के ऐलान ए नबूवत के पहले से , काबा अरब कबीलो के लिए एक मुक़द्दस जगह के तोर पर मशहूर था। लोग काबा के अंदर आते और अपने कीमती सामान रख देते , ये सोच कर की काबा एक मुक़द्दस जगह है जहां चोरी होने की गुंजाईश नहीं। पर गुज़रते वक़्त में लूट की वारदाते होने लगी और काबा के अंदर समानं रखना मुश्किल हो गया।

वादी में मौजूद होने की वजह से , काबा के आस पास पानी भर जाता था जिससे काबा की नीव और दीवारों का काफी नुक्सान हो चुका था। क़ुरैश कबीले ने, काबा की मरम्मत करने का फैसला लिया जो की अरब कबीलो में सबसे बड़ा और बक्का ( मक्का ) शहर के लिए जिम्मेदार था।

क़ुरैश कबीला और तामीर ए काबा ( Design of Kaaba build by Quraysh Tribe in hindi )

चूँकि काबा एक मुक़द्दस जगह है , इसलिए खाना ए काबा की मरम्मत सिर्फ हलाल कमाई से करवाने का फैसला लिया गया। रकम की कमी, सबसे बड़ी वजह थी हिज्र ए इस्माइल याने हतीम की जगह को काबा की तामीर में शामिल नहीं किया जा सका । और पहले से छोटे एरिया में तामीर करने का फैसला हुआ।

काबा के मशरिक़ी दीवार की तरफ के दरवाजे की ऊंचाई ज़मीन से उठा दी गई , ताकि बाढ़ के वक़्त पानी अंदर न आये और मगरिब की तरफ मौजूद दरवाजे को बंद कर दिया गया। न सिर्फ दीवारों को ऊंचा किया गया, बल्कि खाना ए काबा में छत डाली गयी और छत से पानी निकालने के लिए मिज़ाब ए रहमत लगाया गया।

अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर के वक़्त काबा की तामीर ( The Kaaba in the time of Abdullah bin Zubair RA )

हिजरी के 64 वे साल में , यज़ीद बिन मुआवियाह ने मक्का पर चढ़ाई कर दी जिसकी वजह से, काबा को काफी नुक्सान हुआ । उस वक़्त मक्का शहर अबदुल्लाह बिन ज़ुबैर रदिअल्लहु ताला अन्हु के ज़िम्मे में था।

जिन्होंने काबा की मरम्मत करवाई और ख्वाहिश ए रसूल के मुताबिक काबा को वैसे ही तामीर करवाया , जैसे नबी इब्राहिम अलैहिस्सलाम के वक़्त में था। हतीम का हिस्सा काबा के अंदर लिया गया, बंद दरवाजे को खोल दिया गया ,  पर छत और दरवाजे की ज़मीन से ऊंचाई पर कोई बदलाव नहीं किया गया।

उम्मयद खलीफा अब्दुल मलिक इब्न मरवान के वक़्त काबा की तामीर ( The Kaaba in the time of  Abdul Malik Ibn Marwan in Hindi )

हिजरी सन 73 में , मक्का गवर्नर हज्जाज बिन युसूफ ने उम्मयद खलीफा अब्दुल मालिक इब्न मरवान को काबा के बदले हुए डिज़ाइन की खबर दी। और फिर अब्दुल मलिक के हुकुम से काबा को वैसे ही तामीर किया गया जैसे रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम  के वक़्त में था , जो की क़ुरैश कबीले के वक़्त की डिज़ाइन थी।

याने सिर्फ 1 दरवाजा और हतीम का हिस्सा काबा के बाहर। बाद में जब अब्दुल मलिक इब्न मरवान को रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम की हदीश का इल्म हुआ तो अपने फैसले पर बहुत पछतावा हुआ ।

गुज़रते वक़्त में , काबा की कई बार मरम्मत करवाई गई पर डिज़ाइन में कोई खास बदलाव नहीं किया गया । आज भी काबा की डिज़ाइन तकरीबन वैसे ही है जैसे क़ुरैश कबीले के वक़्त तामीर की गई थी।

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