इस्लाम में चांद और सूरज के ग्रहण के मायने ( Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi 17-18 September 2024)

इस्लाम में चांद और सूरज के ग्रहण के मायने ( Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi )

दीन ए इस्लाम में सूरज या चाँद के ग्रहण का होना , क़यामत के दिन की याद या निशानी है जो अनक़रीब है । हिसाब किताब के दिन की याद याने जब ग्रहण हो , उस वक़्त मुसलमानो को नमाज़ अदा करनी चाहिए, सदका करना चाहिए और अल्लाह सुब्हानवताला की बारगाह में पनाह और गुनाहो से तौबा करनी चाहिए।

Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi

 

 

 

 

 

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम ने फ़रमाया –

” सूरज और चाँद अल्लाह सुब्हानवताला की 2 निशानिया है जिनका ग्रहण किसी की मौत और पैदाइश की वजह नहीं। इसलिए जब तुम ग्रहण को देखो , अल्लाह की पनाह में आ जाओ , सदका करो और नमाज़े अदा करो । ”

कुसूफ़ या सूरज का ग्रहण  ( Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi )

पूरे या आधे सूरज का चाँद की वजह से ढक जाना कुसूफ़ या सूरज का ग्रहण होता है । लोग इसे, होने वाली अनचाही वजहों से जोड़ कर देखते थे।  जैसा की मदीना के लोगो ने नबी के बेटे की वफ़ात को इससे जोड़ दिया था। और उसके बाद उम्मत को इसकी असली वजह का इल्म नबीये पाक सल्लाहु अलय्हि वसल्लम से हासिल हुआ।

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम ने ” अस्सलातु जामिआह ” का ऐलान करवाया , जिसे जमात में पढ़ा जाता है । जब लोग इकट्ठा हुए , आपने इसकी इमामत की और फ़रमाया – ” सूरज और चाँद अल्लाह सुब्हानवताला की 2 निशानिया है जिनका ग्रहण किसी की मौत और पैदाइश की वजह नहीं। इसलिए जब तुम ग्रहण को देखो , नमाज़ अदा करो ”

 

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सलात अल कुसूफ़ ( solar eclipse prayer  – Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi )

सलात अल कुसूफ़ ( ग्रहण के वक़्त पढ़ी जाने वाली नमाज़ ) मर्द और औरतों के लिए सुन्नत ए मुअक्कदाह है । जिसे जमात के साथ मस्जिद में अदा करना बेहतर है । जिसका वक़्त, ग्रहण के वक़्त से उसके पूरे होने तक होता है। इस नमाज़ के लिए कोई अज़ान नहीं होती, पर इसका ऐलान किया जा सकता है ताकि ” अस्सलातु जामिआह ” अदा की जा सके।

सलात अल कुसूफ़ का तरीका ( solar eclipse prayer  – Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi )

सय्यदना हज़रते आयशा रदिअल्लाहु ताला अन्हु ने फ़रमाया – सलात अल कुसूफ़ में 2 रकअत होती है । जिसमे नमाज़ी हर रकअत में 1 बार की जगह 2 बार रुकू में जाता है ।

नमाज़ का तरीका –

  1. पहली रकअत में सूरह फातिहा के बाद कोई और सूरह पढी जाती है
  2. फिर अल्लाहु अकबर की आवाज के साथ रुकू में जाएँ और देर तक रुकू में रहे ।
  3. फिर समी अल्लाहु लिमन हमीदह  पढ़े और , रब्बना लकल हम्द के साथ खड़े हो ।
  4. फिर अल्लाहु अकबर की आवाज के साथ रुकू में जाये और कुछ देर, पर पहले से कम रुकू में रहें।
  5. फिर समी अल्लाहु लिमन हमीदह  पढ़े और , रब्बना लकल हम्द के साथ खड़े हो ।
  6. फिर अल्लाहु अकबर की आवाज के साथ सजदे में जाये और 2 सजदे पुरे करें।
  7. दूसरी रकअत इसी तरह पूरी कर नमाज़ पूरा करें ।

सूरज और चाँद अल्लाह सुब्हानवताला की 2 निशानिया है जिनका ग्रहण किसी की मौत और पैदाइश की वजह नहीं। पर अल्लाह सुब्हानवताला अपने बन्दों को इससे खबरदार करता है। तो जब तुम ग्रहण देखो , अल्लाह की याद करो और रब की पनाह में आ जाओ , अल्लाह की हम्दोसना और शान बयाँ करो , नमाज़े अदा करो , सदका करो और रब की बारगाह में माफ़ी तलब करो।

ये इल्म रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने उस वक़्त अता किया जिस वक़्त 29 सव्वाल 10 हिजरी ( 27 जनवरी 632 CE) के दिन आपके बेटे हज़रते इब्राहिम की वफ़ात हुई।

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम के वक़्त ग्रहण का वाक़्या ( Eclipse at the time of prophet – Solar and Lunar Eclipses in Islam Hindi )

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम के वक़्त , जब सूरज का ग्रहण हुआ था तो लोगो ने आपके बेटे हज़रते इब्राहिम की वफ़ात की वजह सूरज ग्रहण को बताया । जिसके बाद रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने इसकी सच्चाई को बयान किया ।

सहीह इमाम मुस्लिम में मौजूद हदीश –  सय्यदना हज़रते आयशा रदिअल्लहु ताला अन्हा ने फ़रमाया –

रसूलुल्लाह सल्लाहु अलैहिवसल्लम के वक़्त , जब सूरज का ग्रहण हुआ था तो आप नमाज़ के लिए खड़े हुए और काफी वक़्त नमाज़ में खड़े हुए गुज़ारा। फिर जब आप रुकू में गए तो काफी वक़्त रुकू में गुज़ारा । फिर आपने अपने मुबारक सर को ऊपर उठाया और काफी वक़्त फिर से नमाज़ में खड़े हुए गुज़ारा पर इस मर्तबा वक़्त, पिछली मर्तबा से कम था । फिर से आप रुकू में गए और काफी वक़्त रुकू में गुज़ारा पर इस मर्तबा वक़्त, पिछली मर्तबा से कम था। फिर आपने सजदे किये और खड़े हुए और काफी वक़्त खड़े रहे, पर पिछली मर्तबा से कम।

फिर से आप रुकू में गए और काफी वक़्त रुकू की हालत में रहे पर पिछली मर्तबा से कम। आपने अपने मुबारक सर को ऊपर उठाया और काफी वक़्त फिर से नमाज़ में खड़े हुए गुज़ारा पर इस मर्तबा वक़्त, पिछली मर्तबा से कम था । फिर से आप रुकू में गए और काफी वक़्त रुकू में गुज़ारा पर इस मर्तबा वक़्त, पिछली मर्तबा से कम था। फिर आपने सजदे किये और नमाज़ पूरी की ।

तब तक सूरज की चमक वापस आ चुकी थी और उसके बाद आप लोगो से मुखातिब हुए और अल्लाह सुब्हानवताला की शान बयान कर फ़रमाया –

” सूरज और चाँद अल्लाह सुब्हानवताला की 2 निशानिया है जिनका ग्रहण किसी की मौत और पैदाइश की वजह नहीं। इसलिए जब तुम ग्रहण को देखो , अल्लाह की पनाह में आ जाओ , सदका करो और नमाज़े अदा करो । ”

जज़ाकल्लाह खैर।

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