कहाँ और कैसे तैयार होता है मुक़द्दस गिलाफ ए काबा किस्वा? ( Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
हर साल ख़ाना-ए-काबा पर जो मुअत्तर और पुर-रौनक गिलाफ चढ़ाया जाता है, उसे किस्वा कहा जाता है। ये महज़ एक कपड़ा नहीं, बल्कि इबादत, फ़नकारी और पाकीज़गी का बेमिसाल नमूना होता है। इस मुक़द्दस परदे की तैयारी एक बेहद नफ़ीस और तफ़सीली अमल है, जिसमें 154 माहिर फनकार हिस्सा लेते हैं।
किस्वाह को कहाँ तैयार किया जाता है ? ( Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah– Factory )
मुक़द्दस किस्वा की तैयारी का मरकज़ मक्का मुकर्रमा में है जिसे “किस्वा फैक्ट्री” या आधिकारिक तौर पर “King Abdul Aziz Complex for the Kiswa of the Holy Kaaba” कहा जाता है। ये कारख़ाना साल 1397 हिजरी (1977 ई.) में क़ायम किया गया था, और तब से लेकर आज तक ये फैक्ट्री सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ाना-ए-काबा के गिलाफ की तैयारी के लिए मख़सूस है।
किस्वा की तैयारी के मराहिल (Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah – 7 Stages )
गिलाफ ए काबा किस्वा को 7 दर्जों याने 7 मराहिलों में तैयार किया जाता है।
1. कुरआनी आयात की छपाई ( Printing Qur’anic Verses – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
किस्वा पर 68 कुरआनी आयतें लिखी जाती हैं जिन्हें मख़सूस अंदाज़ में छापा जाता है। ये आयतें इस्लाम के मयारी और रूहानी पैग़ाम को बयान करती हैं।
2. पानी की तज़्किया (Water Purification – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
गिलाफ ए काबा को तैयार करने में, हर मरहले में पाकीज़गी का ख़ास खयाल रखा जाता है। इसे पानी से साफ़ और मुत्तहर किया जाता है, ताके हर क़दम पाक-दिली और ख़ुलूस से अंजाम पाए।
3. सोने के काम की कढ़ाई (Embroidering Golden Elements – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
गिलाफ ए काबा किस्वा पर जो सुनहरे धागों से नक़्श-ओ-निगार बनाए जाते हैं, वो खालिस सोने और चांदी के तारों से किए जाते हैं। ये अमल बहुत नाज़ुक होता है और इसे सिर्फ़ तजरबा-कार कारीगर अंजाम देते हैं।
4. धुलाई और रंगाई (Washing and Dyeing – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
गिलाफ ए काबा के कपड़े को मख़सूस तरीके से धोया और रंगा जाता है ताकि उसका रंग काला और मज़बूत रहे, और उसमें रूहानी गहराई महसूस हो।
5. जोड़ और सिलाई (Assembly and Stitching – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
गिलाफ ए काबा को तैयार करते वक़्त , इसके अलग-अलग हिस्सों को हुनरमंद दरज़ियों की मदद से एक मुकम्मल परदे की सूरत दी जाती है। हर टाँका एहतियात और एहतराम से लगाया जाता है।
6. मशीन के ज़रीए बुनाई (Automated Weaving – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
8 बुनाई की मशीनों के ज़रीए किस्वा का बड़ा हिस्सा बुना जाता है। मशीनें जहां सहूलत देती हैं, वहीं हर डिज़ाइन पर इंसानी नज़र-सानी भी होती है।
7. आख़िरी मयार का जायज़ा (Final Quality Inspection – Stages of Making Holy Kaaba’s Kiswah )
गिलाफ ए काबा किस्वाह की तैयारी के आख़िरी मरहले में हर इंच की जांच होती है। ये देखा जाता है कि हर आयत सही जगह पर हो, हर सिलाई मुकम्मल हो और हर नक़्श साफ़ और मुअत्तर हो।
किस्वा की तैयारी ना सिरफ़ एक फनकारी का अमल है, बल्कि ये इश्क़-ए-इलाही और इबादत का असरदार तज़किरा है। इसमें जो मेहनत, एहतराम और पाकीज़गी शामिल होती है, वो इस्लामी विरासत और ख़िदमत-ए-हरमैन की बेहतरीन मिसाल है।
जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे – आमीन ।
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