बैत अल अकाबह ( 1st & 2nd pledge at al-Aqabah Hindi )

बैत अल अकाबह ( 1st & 2nd pledge at al-Aqabah Hindi )

pledge at al-Aqabah Hindi

 

 

 

 

मक्का के करीब मीना में मौजूद एक खास मक़ाम “अकाबह” – एक ऐसा मक़ाम है जहां मदीना से आये 6 लोगो ने दीन ए इस्लाम क़ुबूल किया था । शहर मक्का के बाहर दीन ए इस्लाम कुबूल करने वाले ये पहले लोग थे , मदीना में इस्लाम कुबूल करने वाले ये लोग, पहले थे जिन्होंने खुद रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के हाथ से बैत ली थी । सुभानअल्लाह ।

मस्जिद बियाह – उकबा ( pledge at al-Aqabah Hindi )

मीना के नज़दीक यह मस्जिद उस मक़ाम पर तामीर की गयी है जहां मदीना के अंसार ने सन 621 में रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के हाथ से बैत ली थी और दीन ए इस्लाम के लिए वफादार होने की कसम खाई थी । बैत लेने वाले लोगो में मदीना के औस और ख़ज़रज कबीले के 12 सरदार शामिल थे जो पहली बैत का हिस्सा बने और उसके एक साल बाद इसी जगह दूसरी बैत के लिए तक़रीबांन 70 लोग नबी से मिले और दीन ए इस्लाम कुबूल किया था।

दास्तान ए अकाबह ( pledge at al-Aqabah Hindi )

मक्का मुकर्रमा उस वक़्त से मुक़द्दस है जब अल्लाह सुभानवताला ने क़ायनात बनायीं , पर यतरिब तब मदीना मुनव्वरा हुआ जब रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम की आमद मदीना में हुई। उससे पहले मदीना को यतरिब पुकारा जाता था।

यतरिब में उस वक़्त दो खास कबीले थे – ओंस और ख़ज़रज । दोनों कबीले बेहद ताक़तवर, बुत परस्त  और एक दूसरे के दुश्मन थे । यतरिब में इन कबीलो के अलावा बाहर से आये यहूद भी रहा करते थे जो अरब कबीलो से उलट एक रब की इबादत करते थे। इन्ही यहूदियों ने अरब कबीलो को आने वाले नबी का इल्म दिया जो की  यतरिब में उनके बसने की वजह भी थी। ख़ज़रज कबीले के 6 लोग , जो की काबा की जियारत करने आये हुए थे और रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के दीन के बारे में सुन रखा था । ये सोच कर, की कही आप ही वह नबी तो नहीं जिनकी बात यहूद किया करते है , आपसे मिलने की सोचने लगे। 

और मक्का के पास अकाबह नाम की जगह पर रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम से मुलाक़ात की , क़ुरान सुना , खुद रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम से क़ुरान सुनकर तमाम 6 लोगो का दिल दीन की मुहब्बत से भर गया ईमान ले आये । और मक्का से जाते वक़्त अगले साल लौटने का वादा करके गए । दीन की दौलत के साथ यतरिब लौटकर उन्होंने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को दीन की दावत दी और रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के बारे में बताया । 

पहली बैत ए अकाबह ( pledge at al-Aqabah Hindi )

एक साल पूरा होने के साथ साथ हाजियो का मक्का आना शुरू हुआ । 6 लोगो की दावत का असर ये था की, यतरिब से 12 लोग जो बेहद खास थे, रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम से मिलने पहुंचे और दीन कुबूल कर  रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम के हाथ से बैत लेकर दीन ए इस्लाम की मदद करने की कसम ली। जिसके बाद रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने सहाबा ए रसूल हज़रते मुसाद इब्न उमेर रदिअल्लाहुताला अन्हो को, यतरिब के लोगो को इस्लाम और क़ुरान सिखाने के लिए यतरिब भेजा ।

एक साल और बीत गया और फिर से हाजियो का मक्का की तरफ आना शुरू हुआ । 

दूसरी बैत ए अकाबह ( pledge at al-Aqabah Hindi )

इस साल अकाबह में ही रात के वक़्त रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम से मिलना तय हुआ। तकरीबन 73 लोग और 1 से 2 खातून यतरिब से अकाबह पहुंचे। रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम अपने चाचा हज़रते अब्बास रदिअल्लहु ताला अन्हु के साथ तय मक़ाम पर आये जहां 73 लोगो ने नबी के हाथ से बैत ली और रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम और मुसलमानो की हिफाज़त और मदद की कसम खायी । और साथ ही यतरिब में रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम को  आने की दावत दी और उसकी जिम्मेदारी लेना का वादा भी किया । जिसे सुलह अकाबह भी पुकारते है । 

सुलह अकाबह ( pledge at al-Aqabah Hindi )

सुलह अकाबह बेहद खास था , हालांकि दीन यतरिब में फ़ैल रहा था मगर मक्का में मुसलमान अभी भी परेशान थे । रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम ने सहाबियों को यतरिब जाने का हुकुम दिया जिसके बाद ज्यादातर सहाबा यतरिब रवाना हो गए । तमाम जुल्म के बाद भी रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम को जंग के लिए अल्लाह सुब्हानवताला का हुक्म नहीं हुआ , बल्कि रब का फरमान था माफ़ करने का, उन्हें जो जालिम है और जो दीन से बेखबर है । पर एक वक़्त ऐसा आया जब दीन के खिलाफ कुफ्फार ए मक्का का जुल्म इतना बढ़ गया कि , अल्लाह सुब्हानवताला ने जालिम के खिलाफ जंग का हुकुम दे दिया, उन लोगो के खिलाफ जो दीन से फिर गए और जालिम है । 

क़ुरैश कबीले के सरदार इस बात से घबरा गए की अगर रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम पर ईमान रखने वालो की तादात, ऐसे ही बढ़ती रही तोह मुसलमान, क़ुरैश के लिए खतरा बन जायेंगे । वैसे भी यतरिब के काफी लोग मुसलमान हो चुके है और मक्का के मुसलमानो की हिफाज़त कर रहे है। यहां तक की उन्हें यतरिब में अपना घर और खाना भी दे रहे है । इन सब मामलात के बाद क़ुरैश कबीले ने रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम को मक्का में ही क़त्ल करने का इरादा किया ताकि दीन ए इस्लाम को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाये । 

पर अल्लाह सुब्हानवताला  ने ( जो सब जानने वाला है ) इस साजिश का इल्म रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम को अता किया जिसके बाद , रसूलुल्लाह सल्लाहु अलय्हि वसल्लम हज़रते अबू बक्र के साथ मदीना ( यतरिब ) के लिए रवाना हुए और हिजरत का सफर पूरा किया । 

मक्का के बाहर दीन कि रौशनी अकाबह से फैली और फिर पूरी दुनिया में हिजरत के सफर के बाद इसे रोशन कर दिया गया । अल्लाह हु अकबर ।

जज़ाकल्लाह खैर। अल्लाह सुब्हानवताला इस कोशिश में हुई छोटी बड़ी गलती को माफ़ करे  – आमीन ।

होम पेज – https://islamicknowledgehindi.com/

हमारे यूट्यूब पेज को चेक करें ( DoFollow ) – https://www.youtube.com/@DaastanByJafar

 

Leave a Comment